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विषय-सूची
1. श्रीम-स्मरण २. उपासनाका अभिनय [वे. पं० चैनमुखदासजी 1. श्रीपाल-चरित्र-साहित्यके सम्बन्ध में शेष ज्ञातव्य [श्री. अगरचन्द नाहटा .. परिसाका प्रतिवाद [श्री. पं० दरबारीबालाजी ५. प्रभा चन्दका तत्वार्थसूत्र [ सम्पादकीय
... १. परमाणु (कविता)-[पं० चैनसुखदासजी •. परवार जातिके इतिहास पर कुछ प्रकाश [ श्री पं० माथूरामजी प्रेमी ५. अहिंसा के कुछ पहन् [श्री काका कालेन कर ... १.बोरे राष्ट्रोंकी युद्धनीति [श्री. काका कालेलकर .... • भारतीय दर्शनों में जैन दर्शनका स्थान [ श्री. हरिसस्प भट्टाचार्य
अनेकान्तके ग्राहक बनिये ___ जो सज्जन भनेकान्त' की पिछली किरण न लेकर नवीन किरण
मई से ही ग्राहक बनना चाहते हैं । उन्हें सहर्ष सूचित किया जाता है. ये है कि वे १) रु० मनियाईरसे भिजवा देने पर ७ वी किरणसे १२ वी.
किरण तकके ग्राहक बनाए जासकेंगे। उन्हें नवीन प्रकाशित किरणें ही में भेजी जाएँगी और जो ११) रु० के साथ चार आने पोस्टेजका अधिक
भेज देंगे उन्हें समाधितन्त्र और जैन समाज-दर्पण दोनों उपहारी ." पुस्तकें भी भिजवाई जा सकेंगी।
-व्यवस्थापक
MAHAMARHAMALAMAATENAMRATALATAKnorAHINETRINAALANA
वीर प्रेम ऑफ इण्डिया, कनॉट मर्कस, न्य देहली।