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वर्ष ३, किरण ]
साहित्य सम्मेलनकी परिकामों में बैन-दर्शन
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द्वितीय प्रश्न पत्र
२ प्रमाय मीमांसाकी हिन्दी टिप्पणियां (4. पाठ्य ग्रंथ- तत्वार्यसूत्र हिन्दी (पं० सुख- सुखचालजी) खासजी)
मासमीमांसा मूब (मी समंतभद्राचार्य) २-अन्य संग्रह-हिन्दी (नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती)
अलंक-पत्रयकी प्रस्तावना । अनु० ५० पसालाबजी।
(पं० महेन्द्रकुमारजी न्यायाचार्य) . सहायक ग्रंथ-निर्ग्रन्थ प्रवचन (गाथाएँ कंठ
५सूत्र कृतांग, हिन्दी (स्थानकवासी फेन्स स्थ नहीं) मुनि श्री चौथमनजी संग्रहीत ।
वाला) '२-कुन्दकुन्दाचार्य, समन्तभद्र, अकलंकदेव, प्रभा चन्द्र, नेमिचन्द्र आदिका जीवन चरित्र (संचित) वीर पाठावलि (कामताप्रसादजी कृत) के आधारसे अथवा अन्य पाधारसे।
___ मोट-इस लेख में जो पाठ्यक्रम दिया है यह सभी ३-सिद्धसेन दिवाकर, उमास्वाति, हरिभद्र, हेम
बहुत कुछ विचारणीय है उसमें कितनी ही त्रुटियाँ मान चंद्र, यशोविजय भादिका जीवन चरित्र- (भनेकांत वर्ष
पड़ती है। दिगम्बर और श्वेताम्बर सभी शिक्षा शात्रियों २ और ३ की फाइलोंके माधारसे)
को उस पर गंभीरताके साथ विचार करना चाहिये, परीक्षार्थियोंको जैन समाजकी सामयिक स्थितिका
और अपना अपना संशोधन यदि कुछ हो तो उसे ज्ञान प्राप्त करनेके लिये निम्न लिखित पत्र पत्रिकाओं
शीघ्र ही उपस्थित करना चाहिये । साथ ही पाठ्यक्रम का अध्ययन करते रहना चाहिये:-, अनेकांत (न्यू
को निर्धारित करते समय परीक्षा समितिके इस प्रस्ताव देहली) २ जैन मित्र (सूरत) ३ जैन संदेश (आगरा) ४
वाक्य पर खास तौरसे ध्यान रखना चाहिये किजैन (भावनगर) ५ जैन प्रकाश (बम्बई) ६ जैन
"पुस्तक ऐसी होनी चाहिये जिसमें विवादास्पदयुग (बम्बई)
विषय न हो।" बाकी यह अपील संयोजक महोदयकी ___ अकोंका क्रमः - पाव्यय ग्रंथ ७० अंक और सहा
बहुत समुचित है कि जिन प्रकाशकोंकी पुस्तकें पठनयक ग्रंथ तथा पत्र पत्रिकाओंका अध्ययन ३० अंक
क्रममें रखनेके लिये परीक्षा समितिको भेजनेकी जरूरत उत्तमा परीक्षा
हो उनकी तीन तीन कापियाँ वे सूचना पाते ही मेव दर्शन-विषयक चतुर्थ प्रश्नपत्र
देनेकी कृपा करें और इस तरह इस शुभ कार्यमें अपना , "स्याद्वादमंजरी-हिन्दी-(श्री जगदीशचन्दजी सक्रिय सहयोग प्रदान करें। संपादित)
-सम्पादक