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परिव २]
ऊँच नीच-गोत्र विषयक चर्चा
पर भी एक ही बात है।
मीच-गोत्रके स्वरूपमें कोई विरोष प्रतिमासित नहीं मब मैं यहाँ प्रश्न करना है कि ऊँच गोत्र सूचक होगा । क्या मेरा यह कहना ठीक है। अपना गत अंचे भाचरणका अर्थ व्यवहारयोग्य सम्म कुलाचरण प्रकारमे मानने पर जैनसिदान्तसे या कोई विरोध - संघम धर्माचरण दोनों ही प्रकारका प्राचरण किया नहीं पाएगा। जावे तथा नीच गोत्र सूचक नीचे भाचरणका अर्थ उग- भागे लिखा है कि सब ही देव (कल्पवामी पादि रकेतोंके असभ्य कुलका माचरण असंयमाचरण धर्मात्मा भवनवासी प्रादि पापामारी देव) और दोनों ही प्रकारका भाचरण किया जावे और व्यवहार- भोग भूमियाँ जीव-चाहे वे सम्यकाधि हों या मिथ्यायोग्य सभ्य कुलाचरण तथा धर्माचरणमें और ठग- एष्टि-जो अणु मात्र भी चारित्र ग्रहण नहीं कर सकते सकेनी के प्रमभ्य कुखाचरणमें और असंयमाचरणमें भेद वे तो उस गोत्री हैं और देशचारित्र धारण कर सकने व्यक्त न किया जाये तो क्या हानि है?
वाने पंचम गुणस्थानी संशी पंचेन्द्रिय नियंच नीच आगे चलकर श्रीपज्यगदस्वामीकृत मर्वार्थमिद्धिमें गोत्री ही हैं।' वर्णित ऊँचगोत्र और नीचगोत्रका स्वरूप यह श्री वीर भगवान्ने अपने शामनमें विरोध रूप बनलाया है कि 'लोक पूजिन कुलों में जन्म होनेको शत्रुको नष्ट करनेके लिये अनेकान्त अपना अपेक्षावाद उच्च गोत्र व गर्हित कुलों में जन्म होनेको नीचगोत्र वा स्याद्वाद जैसे गंभीर सिद्धान्न-अमोपासका निर्माण कहते हैं।'
किया है, फिर जहाँ हमें कुछ विरोध प्रतिभासित हो ___ यहाँ पर लोकजिन कुल व गहिन कुजका स्वरूप वहाँ हम भनेकाम्नमे विरोधका क्यों न समन्वय कर में विचारना चाहिये। जो कुल अपने हिमा मठ-छोरी क्यों न अपेक्षावादका उपयोग करें ? और वा ममन्वय धादि पापोंके त्यागल पहिमा मन्य-शील-संयम दान इस प्रकार कर लिया जाये तो क्या कोई बैनअदि धर्माचरणोंके धारणरूप भाचरणों के कारण पज्य सिद्धान्तमे विरोध भावेगा ?है-सन्मानित है-प्रतिष्ठा प्राप्त है वे ही कुन लोक- कल्पवामी देवों और भवनत्रिक देवों में जो उ. पूजित न माने जाने चाहिये-राज्य-धन मैन्य बल गोत्रका उदय बनलाया है वह उनके शक्तिशालीपनेकी मादिके कारण पूजिन कुल खोक पूजित नहीं माने जाने अपेक्षा व विशिष्ट पुण्योगको अपेक्षा है और वह भी चाहिये । जो कुखा हिंमा झर-चोरी भादि पापाचरणोंके केवल मनुष्यों के मानने के लिये अर्थात मनुष्य ऐसा कारण गहिन है गहित कुना माने जाने चाहियें। माने कि देव हमसे ऊँचे है, ऐसा मानना चाहिये। और इस तरह पर धर्माचरणोंके कारण बोगद्वारा और इसी प्रकार नियंचोंमें जो नीच गोत्रका उदय पूचित कुल में जन्म लेनेवालेको 'चगोत्री' पापा- बनाया है पदमके पशुपने विशिष्ट पापोदयकी चरखोंसे गहित कुल जम्म बेनेवालेको नीच-गोत्री अपेमे है और यह भी क्षेत्र मनुष्यों के माननेकी मानना चाहिये, और ऐसा मानवेसे गोटसारको अपेक्षासमर्थात् मनुष्य ऐमा मा किनिर्यच नसे ॥ गापामे पति रवीच-गोत्रके स्वल्पमें और नीचे है, ऐसा मानना चाहिये। इसी ना नारकिलों में बीपज्यपादस्वामीरवि सांसिदिमें बर्षित कमीबो नीच गोषच उदयपतवावा हमी यो