________________
महिलाको पोलिग
कभी वचोंको पीट भी देता हो, जिसकी किसीके साथ विचार जिसके मनमें पाते हते हैं और जो उस बात बोलचाल भी हो जाती हो, ऐसा शख्स क्या यह कह को मूल ही नहीं सकता; बलिक बदला लेनेके मौके मकता है कि उसकी अहिंसाधर्ममें श्रद्धा है! हीदता है, और उस भादमीका कुछ अनिष्ट हो
उत्तर-हम इस वक्त जिस प्रकारकी और जिस तब खुश होता है, उसके दिलमें हिंसा, देष या बैरकी क्षेत्रकी अहिंसाका विचार कर रहे हैं उसमें "गुस्से के वृत्ति है । कोष भी पाये शोक भी हो, फिर भी, अगर मानीमें क्रोध" और "वेष, बेर, जहरके मानीमें क्रोध' मनमें ऐसे भाव न उठ सकें तो वह अहिंसा है। नुकका भेद समझना जरूरी है। मां-बाप, शिक्षक आदि सान करने वालेका बुरा न चाहनको शुभपत्ति जिसके कभी-कभी बचों पर गुस्मा करते हैं और सज़ा भी दिलम है वह प्रसंगवशात् क्रोधवश होता हो, तो भी वह देते हैं । रास्ते पर, पानीके नल या कुएँ पर कमी-कभी अहिसाधर्मका उम्मीदवार हो सकता है। यह एक स्त्रियों में बोलचाल हो जाती है। पड़ोसियोंमें एकका दूसरी बात है कि जितनी हदतक यह अपने गुस्सेको कचरा दूसरेके घरमें उड़ने जैमी छोटी-सी बात पर भी रोकना सीखेगा उतना ही वह अहिंसा में ज्यादा शक्ति झगडा हो जाता है । बुढ़ापे या बीमार्गमें अनेक लोग हासिल करेगा। तात्विक दृष्टिसे कह सकते हैं कि इस बदमिजान हो जाते हैं और छोटी छोटी बातोंमे चिढ़ने 'चिदके क्रोध' और 'वैर के कोच में सिर्फ मात्राका ही है । यह मब क्रोध ही है और दुर्गुण भी, इतने परसे भेद है। फिर भी यह भेद उतना ही बड़ा और महत्व हम इन लोगोंको द्वेषी, जहरीले, या वैरवृतिवाले नहीं का है जितना कि नहानेका गरम पानी और उबलते कहेंगे । उलटे, कई बार यह भी पाया जायगा हुए गरम पानीका है। कि खुले दिलके और मरल स्वभावके लोगोंमें ही इस (३) प्रश्न-हम या भाषणों में प्रविपक्षीका मजाक प्रकारका क्रोष ज्यादा होता है और कपटी आदमी सादा उड़ाने, बाग्वाण चलाने या तिरस्कारकी भाषा इस्तेमाल मंयम बताते हैं। इसप्रकारका गुस्मा जिसके प्रति प्रेम करनेमें जो अहिसा का भग होता है वह किस हद तक
और मित्रभाव हो, उसपर भी होता है। बल्कि उमी पर निर्दोष माना जाये ? ज्यादा जल्दी होता है; पराये श्रादमी पर कम होता है। प्रत्तर-मान लीजिए कि हिमाका सादा अर्थ है यह स्वभाव, शिक्षा, संस्कार वीरहकी कमीका परिणाम घाव करना । जो प्रहार दूसरेको पायके जैसा मालम है। लेकिन देषवृत्तिका नहीं । अहिंसा-धर्म में प्रगति करने होता है, यह हिंसा; फिर यह हाथ-पैर या शस्त्रसे उसके एक पादरपात्र सेवक और अगुवा बननके लिए किया हो, शन्दस किया हो, याकि दिलसे छिपी हुई यह त्रुटि जरूर दूर होनी चाहिये। ऐसा नहीं कि ऐमी बददुना ही हो । स्थल घाव जब सीधी कुरीका होता है त्रुटि होनेके कारण कोई वादमी अहिंसाधर्मका सिपाही तो कम ईजा देता है। टेडी बरछीका हो तो बदनका भी नहीं हो सकता । अहिंसा के लिए जो वस्तु महत्वको ज्यादा ज्यादा हिस्सा चीर डालता है। नकलीकी तरह है वह अष या प्रवर-वृत्ति । जब किसीने कुछ नुकीला शस्त्र हो तो उसका घाव और भी ज्यादा खतरनुकमान या अपमान किया हो तब उसका बदला किस नाक होता है। उमी तरह सन्दोका पाव सीधा हो तो तर लें, उसे नुकसान किस तरह पहुँचायें, वरीय मितनी ईना देता है, उससे बाम रष्टिसे विनोदात्मक