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प्रार्तिक, बीनिवास सं०२४४५]
वीतराग प्रतिमानोरी बाजीव प्रसिडा विवि
पर, कोई मोर पर, कोई मृग पर, कोई अष्टापद पर, नम्रा, दुरिता, पुरुषदत्ता, मोहनी, काली, ज्वालामालिनी, कोई गोह पर, कोई कछुए पर, कोई भैसे पर, कोई महाकाली, चामुंडा, गौरी, विद्युतमालिनी, बेरोटी, वित्रसूअर पर, कोई सिंह पर, कोई साँप पर और कोई भणी, मानसी, कंदर्पा, गधारिणी, काली, ममनात, हंस पर, इनमेंसे अनेकोंके चार चार हाथ है और बहुरूपिणी, कुसुमालिनी, कुमाडिनी, पावती, और किसी किसीके पाठ पाठ भी। हाथोंमें तलवार, चक्र, भद्रासना है । इनमेंसे भी कोई हँस पर, कोई हाथी पर, खड्ग, वप्रकी सांकल, अंकुरा, भाला, वा, मूसल, कोई घोड़े पर, कोई बैल पर, कोई भैसेपर, कोकाए' धनुष, बाण, त्रिशूल, और फल कमल श्रादि होते हैं। पर, कोई सूबर पर, कोई हिरण पर, कोई मगरम पर, इसी रूपमें इनका पाहाहन कर अलग २ अष्टद्रव्य कोई अजगर पर, कोई बाप पर, कोई मोर पर, कोई से इनकी पूजा की जाती है।
अष्टापद पर, कोई काले साँप पर, कोई कुछुट सर्प पर धर्मात्माओंके बैरियोंका नाश करनेवाले २४ यक्ष चढ़कर पूजा करनेको आती हैं। इनके भी किसीके जिनकी आहाहनकर पूजा की जाती है। वे जिस रूपमें चार हाथ किसीके पाठ और किसीके उससे भी ज्यादा पूजे जाते हैं, उसका वर्णन इस प्रकार है । नाम इनका हाथ होते हैं। हाथोंमें वज्र, चक्र परशु, तलवार, नोगगोमुख, महायत, त्रिमुख, यक्षेश्वर, तुंबर, पुष्प, मातंग, पाश, त्रिशूल, धनुष, वाण, दाल, मुन्दर, मूसल, अंकुश, श्याम, अजित, ब्रह्म, ईश्वर, कुमार, चतुर्मुख, पाताल, मछली, साँप, हिरण, वृक्षकी टहनी और वृक्ष और . किन्नर, गरूड़, गंधर्व, खेन्द्र, कुवेर, वरुण, भृकुटी, फल आदि होते हैं। गोमेध, धरण और मातंग है । इनमेंसे किसीके तीन दिक्पालोंकों उनके प्रायुध, बाहन स्त्री और परिवार मुम्ब हैं, किसीके चार । किसीका गायकासा मुख है। सहित अाहाहन श्रादि द्वारा बुलाकर पूजाकी जाती है किसीके तीन आँख, किसीका काल कुटिल मुख, किसीके और बलि दीजाती है । नाम उनके इन्द्र, अग्नि, यम. नागफणके तीन सिर तीन मुख, किसीका तिर्थामुख, नैऋत्यु वरुण, वायु, कुवेर, ईशान, परणेन्द्र और चंद्र किमीकी देहमें सांपोंका जनेऊ । कोई बैल पर सवार, हैं। इनमें कोई ऐरावत पर, कोई मेंडेपर, कोई मैसेपर, कोई हाथी पर, कोई सूअर पर, कोई गरूड़ पर, कोई · कोई हाथी पर, कोई घोड़े पर,कोई बल पर, कोई गाए हिरण पर, कोई सिंह पर, कोई कबूतर पर, कोई कछुए. पर, कोई सिंह पर सवार होकर प्राता है, इनको भी . पर, कोई सिंह पर, और कोई मोर पर, कोई मगरमच्छ हाथोंमें बा, अग्नि ज्वाला, शक्ति, दंड, मुग्दर, नागपर और कोई मच्छलीपर | हाथोंमें फरसा, चक्र, त्रिशूल, पाश, रतत्रिशूल, माला और अन्य वस्तुएं होती है। अंकुश, तलबार, दंड, धनुष, बाल, साप, भाला, शक्ति, किसीके साकति भूषण, किसीके प्राखसे अग्निकी गदा, चाबुक, इल, • मुन्दर, नागपाश और फल आदि ज्वाला निकले, कोई नाग देवोंसे युक्त, फय पर मणि लिये हुए, किसीके चार हाथ, किसीके पाठ और किसी- - सूर्यके समान चमके, प्रा दिव्यते इनकी पूजा करने .. के इससे भी ज्यादा।
बाद जौ, गेहूँ, मूंग, शाली, उड़द धादि सात प्रकारक २४ बचीदेवियोंकी पूजा, जिस रूपमें की जाती है, अनाजकी सात सात मुखीकी आहुति इन दिकमाल वह इस प्रकार है। नाम इनका चश्वरी प्रणिता, वास्ते जल कुल्में दी जावे । माहाहन इनका परिवार