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________________ - अनेकान्त [कार्तिक, वीरनिर्वाण सं० २४६५ २१-जोवंधर कुमार वैश्य थे, फिरभी राजा फिर भद्रबाहु स्वामीके निकट दिगम्बर मुनिदीक्षा गयेन्द्र (क्षत्रिय) की कन्या रत्नवतीसे विवाह लेली थी। किया। (उत्तरपुराण पर्व ७४ श्लोक ६४६-५१) २–आबू मन्दिरके निर्माता तेजपाल प्राग्वाट २२-राजा धनपति (क्षत्रिय) की कन्या (पोरवाल) जातिके थे, और उनकी पत्नी मोद पद्माको जीवंधरकुमार [वैश्य]ने विवाहा था । जातिकी थी । फिरभी वे बड़े धर्मात्मा थे। २१ (क्षत्रचूड़ामणि लम्ब५ श्लोक ४२-४८) हजार श्वेताम्बरों और ३ सौ दिगम्बरोंने मिलकर २३-भगवान शान्तिनाथ (चक्रवती) सोलहवें संवत १२२०की बात है। ___ उन्हें 'संघपति' पदसे विभूषित किया था। यह तीर्थकर हुये हैं। उनकी कई हजार पत्नियाँ तो ३-मथुराके एक प्रतिमा लेखसे विदित है म्लेच्छ कन्यायें थी। (शान्तिनाथपुराण) कि उसके प्रतिष्ठाकारक वैश्य थे। और उनकी २४----गोपेन्द्र ग्वालाकी कन्या सेठ गन्धोत्कट धर्मपत्नी क्षत्रिया थी। (वैश्य) के पुत्र नन्दाके साथ विवाही गई। ४-जोधपुरके पास घटियाला ग्रामसे संबन (उत्तरपुराण पर्व ७५ श्लोक ३००) ६१८ का एक शिलालेख मिला है । कक्कुक __२५-नागकुमारने तो वेश्या पत्रियोंसे भी नामके व्यक्तिके जैन मन्दिर, म्तम्भादि बनवाने विवाह किया था। फिरभी उसने दिगम्बर मुनिकी का उल्लेख है। यह कक्कुक उस वंशका था दीक्षा ग्रहणकी थी । (नागकुमार चरित्र) इतना जिसके पूर्व पुरुष ब्राह्मण थे और जिन्होंने क्षत्रिय होनेपर भी वे जैनियोंके पूज्य रह सके। कन्यासे शादीकी थी । (प्राचीन जैन लेख संग्रह) जैनशाखोंमें जब इसप्रकारके सैकड़ों५-पद्मावती पुरवालों (वैश्यों) का पाँडों उदाहरण मिलते हैं जिनमें विवाह सम्बन्धके (ब्राह्मणों) के साथ अभी भी कई जगह विवाह लिये किसी वर्ण जाति या, धर्म तकका विचार मम्बन्ध होता है । यह पाँड लोग ब्राह्मण हैं और नहीं किया गया है और ऐसे विवाह करनेवाले पद्माववी पुरवालोंमें विवाह संस्कारादि कराते थे । स्वर्ग, मुक्ति और सद्गतिको प्राप्त हुये हैं तब बादमें इनका भी परस्पर बेटी व्यवहार चालू एक ही वर्ण, एक ही धर्म और एक ही प्रकारके हो गया। जैनियोंमें पारस्परिक सम्बन्ध करनेमें कौनसी हानि ६ करीब १५० वर्ष पूर्व जब बीजावर्गा है, यह समझमें नहीं आता । जातिक लोगोंने खंडेलवालोंके समागमसे जैन-धर्म __इन शास्त्रीय प्रमाणोंके अतिरिक्त ऐसे ही धारण करलिया तब जैनेतर बोजावर्गियोंने उनका अनेक ऐतिहासिक प्रमाण भी मिलते हैं। यथा- बहिष्कार करदिया और बेटी व्यवहारकी कठिनता १–सम्राट चन्द्रगुप्तने ग्रीक देशके (म्लेच्छ) दिखाई देने लगी। तब जैन बोजावर्गी लोग राजा सैल्यूकसकी कन्यासे विवाह किया था। और घबड़ाने लगे। उस समय दूरदर्शी खंडेलवालोंने
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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