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________________ ANAN NAMAN NN SEMUAN DiressansatasanasleaseDED कथा कहानी ले०-अयोध्याप्रसाद गोयत्रीय Marissa NIPASARNASTE रहित) मनोरों के पास शेर और हिरव करियां हृदयकी स्वच्छता-स्ताइ "जोक" उर्दू के एक मरते है, उनके तबाचे प्रेमसे चाटते हैं मगर शिकारीको बहुत प्रसिद्ध कवि हुए है। मुाबराके चन्तिम कुपे हुए देखकर भी भाग जाते है पा मुकारिनेको बादशाह बहादुरशाह जफर" कविता-गुरु थे । भान तैयार हो जाते है । गाय कसाईके हाथ बेचे जाने पर भी भारतवर्षमें हजारों उर्दू के प्रसिद्ध कवि उनके शिष्य सकराती है, मगर किसी यमदिखके पुराने पर और प्रशिष्य है। उर्दू शायरीमें महाकवि "जी" महसान भरी नजरोंसे देखती है । इन्सानका मेरा अपमा नाम अमर कर गये है। पाप मुसलमान थे। मानिन्न पाइने (पर्पण) है। उसमें बरे खोरेका एक बार अपने शागिर्दोके साथ बैठे हुए पाप पात- भक्स (प्रतिबिम्ब ) हर वक्त मनकता रहता है।" चीत कर रहे थे कि उनके सिर पर विदिषा बार बार भाकर बैठने लगी। मापने तंग भाकर सीमें फर्मावा- होनहार विरवानके होत पीकने पात-भारत "नादानोंने मेरी पगडीको घोसवा समझ बिमा "। का प्रथम ऐतिहासिक सम्राट चन्द्रगुप्त-जिसने पूना उस्तादकी इस बातसे सब सिखालिसाकरस पदे। वहीं नियोंकी पराधीनतासे भारतको मुक्त किया था। जिसके एक नागीना (मेत्रहीन) शिष्य भी बैठा हुवा था । उसे बल-पराक्रमका बोहा सारे संसारने माना और जिसके जब हँसोका कारण माबूम हुमा तो बोला-"उस्ताप ! शासन-प्रवासीकी कीर्ति भाव भी गूंज रही-आयहमारे सर पर तो चिदिया एक बार भी भाकर नहीं बैभवमें उत्पन होकर एक अत्यन्त साधारण स्थिदिमें बैठी" । शागिर्दकी बात सुनते ही महाकवि "शौक" उत्पन हुमा या । गाँवकी गाएँ चरामा और मोखमा बोले- क्या ये बानती नहीं हैं कि काजी, बामा यही उसका दैनिक कार्य था। किन्तु वरपनमें ही, म्सके पड़कर चट सावन देगा"। उत्तापकी बात सुनी तो शुभ बास प्रकल होने थम गये थे। वह मेजनेमें स्वयं हँसीका फबान एट पदा। बाबीमा शामिदं भी ऊपता राजा बनता,किसीको मंत्री किसीको कोतवाल किसीको हुमा हंस दिया । शाशिदोंने मर्ज किया- "उस्ताने चोर और ममाता । चोरोंको दर और सदाचारियोंको या सूर पाया है। मेराक विसे दिवको राहत इनाब देगा। नरामी उसकी पाहापाखनमें होबाबत होती है। अपने दोस्त-दुरमनकी पहचान बालकों को भी माती तो वह अधिकार पूर्ण शब्दों में माता-"पा मी शेती । साँप के कहने पर भी अपने साथ. रामा चन्द्रगुसकी मात्रा है, इसका पालन होना ही सेवा राता है, मगर प्रवास इन्सारको प्रयसी मूव चाहिये । राजा पा पाग-बिरवास, ऐसा और पर भी काट खाता है। बागोरसपसे पात्र ( रागो महत्वाकांस देखकर मि-वेपमें चावल बना विकिमत
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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