________________
वर्ष २, किरण
सम्पादकीय
तथा बलिदानके पुनीत मार्गको अपनाता हा लोकसेवा पुलिसकी मार्फत उस बलिविधानको रुकवा सकता है। के लिये अग्रसर बनेगा।
प्रार्डरके बाद जो कोई शख्स वह बलिविधान करेगा या
बलिके लिये पशु पेश करेगा अथवा कोई ट्रस्टी उस २ पशुबलि-विरोध बिल
मन्दिरादिमें पशुबलिकी इजाजत देगा, जहाँके लिये हिन्दुमन्दिरोंमें तथा दूसरे उपासना स्थानों पर उसकी निषेधाज्ञा जारी हो चुकी है, उसको ५००) २० अन्ध श्रद्धावश धर्मके नामपर अथवा देवी-देवताओंको तक जुर्माना या एक साल तककी कैदकी सज़ा दी प्रसन्न करने के लिये जो निर्दयता पूर्वक पशु-पक्षियोंका जायगी अथवा दोनों ही प्रकारके दण्ड दिए जाएंगे। बलिदान किया जाता है, जिसके कितने ही बीभत्स और यदि उक्त दोनों सूचनाओं मेंसे किसी भी अवसर दृश्योंका परिचय पाठक अनेकान्तके नववर्षाङ्कमें दिये पर वोटरोंका बहुमत उस बलिविरोधके अनुकूल न होकर हुए चित्रों आदि परसे प्राप्त कर चुके हैं और जो हिन्दू विरुद्ध होगा तो फिर उस विषयमें एक साल तक कोई समाजके लिये कलंकरूप उसके नैतिक पतनका द्योतक कार्यवाही नहीं कीजायगी--एक सालके बाद वह विषय जङ्गली रिवाज हैं, उसको रोकने के लिये मिस्टर के. बी. फिर द्रस्टियोंके सामने उपस्थित किया जा सकता है। जिनराज हेगडे एम० एल० ए० ने एक बिल असेम्बली इस तरह इस काननके द्वारा उस मन्दिरादिके (धारासभा) में पेश किया है। यह बिल बड़ा अच्छा इलाकेके बहुमतको मान दिया जायगा और कोई भी है और बड़े अच्छे ढंगसे प्रस्तुत किया गया है। मैं कार्यवाही न्यायकी दृष्टि में अनुचित अथवा जबरन नहीं इसका हृदयसे अभिनन्दन करता हूँ।
समझी जायगी। इस काननके पास होनेपर निःसन्देह
समझी जायगी। इस काननके इस बिलके अनुसार कोई भी हिन्दू, जो ऐसे किसी देशको बहुत लाभ होगा--पशुओंके इस निरर्थक विनाशबलिदानको रकवाना चाहे, अपने इलाकेके कमसे कम से देशकी जो आर्थिक हानि होती है वह दूर होगी इतना ५० हिन्दू वोटरोंके हस्ताक्षर कराकर एक प्रार्थनापत्र ही नहीं, बल्कि हिन्दू-जातिका इस घोर पाप तथा उस मंदिरादिके दृष्टियों (मैनेजर आदि) को दे सकता नैतिक पतनसे उद्धार होगा। और उसके माथे पर जो है। जहाँ कि बलिदान होनेवाला हो। ऐसा प्रार्थनापत्र भारी कलंकका टीका लगा हुआ है वह दूर होकर उसका मिलने पर ट्रस्टीजन उसकी सूचना इलाके के सब हिन्दू मुख उज्वल होगा । साथ ही बिना कुसूर सताये जाने चोटरोंको देंगे और उनकी सम्मति मँगाएगे। वोटरोंका वाले पशुओंकी बाहोंसे जो क्षति देश तथा समाजको बहुमत यदि बलि-विरोधके अनुकूल हुश्रा तो फिर ट्रस्टी- पहुंच रही है वह रुकेगी और उसके स्थानपर रक्षाप्राप्त जन एक नोटिस निकालेंगे और उसके द्वारा यह घोषणा मूक पशुओंके शुभाशीर्वादसे भारतकी समृद्धिमें श्राशाकरेंगे कि हम उस बलिविधानके विरुद्ध अपनी श्राचा तीत वृद्धि होगी। अतः सब किसीको मानवताके नाते जारी करना चाहते हैं, जिन्हें हमपर आपत्ति होवे अपना इस बिलका समर्थन कर अपने कर्तव्यका पालन करना उज्र एक महीने के अन्दर पेश करें। यदि नियत समयके चाहिये और बेचारे निरपराध मूक पशुओंको अभयदान भीतर कमसे कम ५० हिन्दू वोटरोंकी आपत्ति प्राप्त होगी देकर उनका शुभाशीर्वाद लेना चाहिये। तो उसकी सूचना पूर्ववत् सब वोटरोंको की जायगी और उस बलिदानको रोकने नरोकनेके विषयमें उनकी
३ मन्दिर प्रवेश बिल सम्मति माँगी जायगी। यदि कोई आपत्ति नहीं की मध्य प्रान्तकी धारा सभामें एक बिल पेश हश्रा है, जायगी अथवा आपत्ति होनेपर बहुमत बलिविधानको जिसके अनुसार हरिजन लोग हिन्दू मन्दिरोंमें दर्शन रोकनेके अनुकूल होगा तो ट्रस्टीजन नियमानुसार उस पूजनके लिये प्रवेश कर सकेंगे । 'हिन्दू' शब्दमें जैनोंका बलिविधानको रोकने के लिये एक आर्डर जारी कर भी समावेश किया जानेके कारण जैनमंदिरमें भी देंगे। ऐसे आर्डरके जारी होनेपर कोई भी शख्म हरिजनोंका प्रवेश हो सकेगा । इस अनर्थ से चिन्तित