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________________ रायचन्द्रजनशास्त्रमालाका महत्त्वपूर्ण नया प्रकाशन श्रीमद् राजचन्द्र गुजरातके सुप्रसिद्ध तत्त्वज्ञानी शतावधानी कवि गयचन्दजीके गुजराती ग्रन्थका हिन्दी अनुवाद अनुवादकर्ता-पं. जगदीशचन्द्र शास्त्री एम० ए० प्रस्तावना और मम्मरण लेखक-विश्ववन्ध महात्मा गाँधी एक हज़ार पृष्ठों के बंई माइज़ के बढ़िया जिल्द बँधे हुए ग्रन्थकर्ताके पाँच चित्रों महित ग्रन्थका मूल्य मिर्फ ६ ) जो कि लागतमात्र है । डाकखर्च १।-) महात्माजीन अपनी आत्मकथा में लिया है " मेरे जीवनपर मुख्यतासे कवि रायचन्द्रभाईकी छाप पड़ी है। टालस्टाय और रस्किनकी अपे भी रायचन्द्रभाईने मुझपर गहरा प्रभाव डाला है। इम ग्रन्थमं उनके मोनमाला, भावनाबोध, आत्ममिद्धि आदि छोटे मोटे ग्रन्थाका मंग्रह तो है ही, सब से महत्वकी चीज़ है उनके ८७४ पत्र, जो उन्होंने ममय ममयपर अपने परिचित मुमत्त जनाको लिग्वे थे और उनकी डायरी, जी व नियमित रूपम लिग्वा करते थे और महात्मा गान्धी नीका अाफ्रिकास किया हुआ) पत्रव्यवहार भी इममें । जिनागम में जो अात्मज्ञानकी पगकाष्ठा है उमका सुन्दर विवचन इममें है। अध्यात्मक विषयका नी यह ग्ब ज़ाना ही है। उनकी कविताये भी अथाहत दी है। मतलब यह कि राय. चन्द्रजीस मंबंध रखनेवाली कोई भी चीज़ छुटी नहीं है। गजरानी में इम ग्रन्थ के अबतक मान एडीशन हो चुके हैं। हिन्दी में यह पहली बार ही महात्मागांधीजीके अाग्रह प्रकाशित हो रहा है। ग्रन्थारंभमें विस्तृत विषय-सूची श्रीर श्रीमदगजचन्द्रकी जीवनी है। ग्रन्थान्तमें ग्रन्थार्गत विषयांको स्पष्ट करनेवाले छह महत्त्वपूर्ण मौलिक परिशिष्ट हैं । जो मूल ग्रन्थमें नहीं है। प्रत्येक विचारशील और तन्वप्रेमीको इम ग्रन्थका स्वाध्याय करना चाहिये । व्यवस्थापकश्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल (श्री रायचन्द्र जैन शास्त्रमाला) खारा कुत्रा जौहरी बाज़ार, बम्बई नं० २
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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