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अनकान्त के नियम
प्रार्थनाएँ १. अनेकान्तका वार्षिक मूल्य २॥) पेशगी है। १. "अनेकान्त" किसी स्वार्थ बद्धिसे प्रेरित होकर
वी.पी.से मंगाने पर समयका काफी दुरुपयोग अथवा आर्थिक उद्देश्यको लेकर नहीं निकाला होता है और ग्राहकोंको तीन पाने रजिस्ट्रीके जाता है, किन्तु वीरसेवामन्दिरके महान् अधिक देने होते हैं । अतः मूल्य मनिआर्डरसे उद्देश्योंको सफल बनाते हुए लोकहितको भेजने में ही दोनों ओर सुविधा रहती है। साधना तथा सभी सेवा बजाना ही इस पत्र२. अनेकान्त प्रत्येक माहकी २८ ता० को अच्छी का एक मात्र ध्येय है। अतः सभी सजनों
तरह जाँच करके भेजा जाता है। जो हरहालत को इसकी उन्नतिमें सहायक होना चाहिये । में १ ता तक सबके पास पहुँच जाना चाहिये। ,
२. जिन सज्जनोंको अनेकान्तक जो लेख पमन्द इसीलिये टाइटिल पर १ ता. छपी होती है। .
आरें, उन्हें चाहिये कि वे जिसने भी अधिक यदि किसी मासका अनेकान्त १ ता.को न मिले तो, अपने डाकघरसे लिखा पढ़ी करनी
भाइयोंको उसका परिचय करा सकें जरूर चाहिये । वहाँमे जो उत्तर मिलं वह उस
करायें। मामकी १५ ता० तक हमारे पाम पहुँच जाना ३. यदि कोई लेख अथवा लेखका अंश ठीक चाहिये । देर होनसे, डाकघरका जवाब मालूम न हो अथवा धर्मविरुद्ध दिखाई दे, शिकायती पत्रके माथ न आनसे दूसरी प्रति तो महज़ उमीकी वजहसे किमीको लेग्यक या बिना मूल्य भजनमें असुविधा रहेगी।
सम्पादकमे द्वेष-भाव न धारण करना चाहिये, ३. अनेकान्तके एक वर्षसे कमके ग्राहक नहीं बनाये । किन्तु अनेकान्त-नीतिकी उदारतामे काम
जाते । ग्राहक प्रथम किरणसे १२ वी किरण लेना चाहिये और हो मकं तो यक्ति पुरस्सर तकके ही बनाये जाते हैं। एक वर्षकी किरणसे मंयत भापामें लेखकको उमकी भूल सुझानी दृमरे वर्षकी बीचकी किमी उस किरण तक चाहिये। नहीं बनाये जाते। अनेकान्तका नवीन वर्ष
४. "अनेकान्त" की नीति और उद्देश्य के अनुदीपावलीसे प्रारम्भ होता है।
मार लंग्व लिग्यकर भेजने के लिए देश तथा ४. पता बदलनेकी मृचना ता०२० तक कार्या
ममाजकं मभी सुलग्यांको आमन्त्रण है। लयमें पहुँच जानी चाहिये । महिने दो महिने के लिये पता बदलवाना हो, तो अपने यहाँके
५. "अनंकान्न" को भेजे जाने लग्बादिक डाकघरको ही लिग्यकर प्रबन्ध कर लेना
क़ाराजकी एक ओर हाशिया छोड़कर मुवाच्य चाहिये । ग्राहकोंको पत्र व्यवहार करते
अक्षगेम लिम्ब होने चाहिये । लेखांको ममय उत्तरके लिए पोस्टंज खर्च भंजना
घटाने, बढ़ाने, प्रकाशित करने न करने, चाहिये । साथ ही अपना ग्राहक नम्बर और
लौटानं न लौटानका सम्पूर्ण अधिकार मम्पापता भी स्पष्ट लिखना चाहिये, अन्यथा उत्तर
दकको है। अस्वीकृत लेम्प वापिस मॅगाने के
लिये पोस्टंज खच भंजना आवश्यक है । लेग्य कलिय कोई भरामा नहीं रखना चाहिय।
निम्न पनम भंजना चाहियः६. अनेकान्तका मूल्य और प्रबन्ध सम्बन्धी
पत्र किमी व्यक्ति विशंपका नाम न लिग्वकर निम्न पतसे भंजना चाहिये ।।
जुगलकिशोर मुख्तार व्यवस्थापक "अनकान्त"
सम्पादक अनेकान्त कनॉट मर्कम पो ब. नं०४८ न्य देहली।
सरमावा, जि. सहारनपुर