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________________ ३५८ अनेकान्त [चैत्र, वीरनिर्वाण सं०२४६५ मृत्युसे खिलवाड़ करनेको सदैव प्रस्तुत रहता है। हजरत उमर (द्वितीय खलीफा) बहुत सादगी- मैं नहीं चाहताकि आप कर्जदार होकर जाएँ।' पसन्द थे । इन्होंने अपने बाहुबलसे अरब, फल- हज़रत उमर इस पर्चेको पढ़कर रो पड़े और स्तीन, रूम, बेतुल मुकद्दस, (शामका एक स्थान) कोषाध्यक्षकी इस दूरन्देशीकी बारबार सराहना आदिमें केवल १० वर्षमें ही ३६००० किले और की । प्यारे पुत्रको अगले माहमें कपड़े बनवा देनेशहर फतह किये । यह विजयी खलीफा सादगीके का आश्वासन देते हुए गलेसे लगाया ! इन्हीं नमने थे। राज-कोषसे केवल अपने परिवारके खलीफा साहबने अपने इस प्यारे पुत्रको एक पालनके लिये २० रु० माहवार लेते थे। तंगदस्ती अनाथ लड़कीसे बलात्कार करने पर बेंत लगवाई इतनी रहती थी कि कपड़ों पर आपको चमड़ेका थीं, जिससे पुत्रकी मृत्यु हो गई थी। पेवन्द लगाना पड़ता था, ताकि उस स्थानसे दोबारा न फट जाएँ । जूते भी स्वयं गांठ लेते थे। सिरहाने तकियेकी एवज ईटें लगाते थे। उनके बच्चे भी फटे हाल रहते थे। इसलिये हमजोली पानीपतकी दूसरी लड़ाईमें हेमू युद्ध करता बालक अपने नये कपड़े दिखाकर उन्हें हुअा अकबर बादशाहके सेनापति द्वारा वन्दी कर चिड़ाते थे । एक दिन आपके पुत्र अब्दुलरहमानने लिया गया । वन्दी अवस्थामें वह अकबरके समक्ष अपने लिये नये कपड़े बनवानेके लिये रो-रोकर लाया गया। उस समय अकबरकी आयु केवल खलीफासे बहुत मिन्नतें कीं । खलीफाका हृदय १३ वर्षकी थी। पुरातन प्रथाके अनुसार अकबरको पसीजा और उन्होंने अगले वेतनमें काट लेनेके हेमूका वध करनेके लिये कहा गया, किंतु उसने लिये संकेत करते हुए दो रुपया पेशगी देनेको यह कहकर कि--निःसहाय और वन्दी मनुष्य पर लिखा । किंतु कोषाध्यक्ष खलीफाका पक्का शिष्य था हाथ उठाना पाप है' प्राण लेनेसे इकार कर अतः उसने यह लिखकर दो रुपये पेशगी देनेसे दिया। बालक अकबरकी इस दूरदर्शिता और इहार कर दिया कि-- 'काश इस बीचमें आप विशाल हृदयताकी उपस्थित जनसमूहने मुक्तकंठसे इन्तकाल फर्मा गये--स्वर्गस्थ हो गये तो यह प्रशंसाकी। अकबर अपने ऐसे ही लोकोत्तर गुणोंके पेशगी लिए हुए रुपये किस खातेमें डाले जाएँगे? कारण इस छोटी-सी आयुमें काँटोंका ताज पहनकर मौतका कोई भरोसा नहीं उसे पानेमें देर नहीं विशाल साम्राज्य स्थापित कर सका था। लगती और फिर आपका तो युद्धमय जीवन
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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