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________________ ३५६ अनेकान्त [चैत्र, वीर-निर्वाण सं०३४६५ सिंघषेडि आबा पातूर, चन्द्रप्रभ जिन शांति सनूर । है है। उसकी सेनामें एक लाख घड़सवार और नौ लाख सिपाही हैं । गोलकुंडे में छत्तीसहजार वेश्यायें भोसावुदगिरि गढ़ कल्याण,सहिर बिधर प्रसीद्धं ठाण। हैं और रातदिन नाचगान हुआ करता है । यहाँ . इसके आगे तैलंगदेशके भागनगर गलकुंडू के श्रावक धनी,वानी,ज्ञानी और धर्मात्मा हैं । मणि (गोलकुंडा) का वर्णन है । लिखा है कि उसका माणिक्य, मूंगेके जानकार (जौहरी) और देवगुरुविस्तार चार योजनका है और कुतुबशाहकाईराज्य की सेवा करनेवाले हैं। १ महाराष्ट्र ज्ञानकोशके अनुसार जब जानोजी वहाँ ओसवाल वंशके एक 'देवकरणशाह' नाम भोसलेने निजामअलीको परास्त करके सन्धि करनेको के बड़े भारी धनी हैं,जो चिन्तामणि चैत्यमें प्रतिदिन लाचार किया था, तब पेशवा स्वयं तो शिन्दखेडमें रह जिनपूजा और संघ-वात्सल्य करते हैं। उनकी ओरगया था और विश्वासराव तथा सिन्धियाको उसने है। वे दीन-दुखियोंके लिए कल्पवृक्ष औरंगाबाद भेज दिया था। इसके बाद सारवरखेड है। राजा उन्हें मानते है । 'उदयकरण' और 'आसबड़ी भारी लड़ाई हुई और निजामअली परास्त हुआ करण" सहित वे तीन भाई हैं—सम्यक्त्वी, निर्मल (ई. सन् १७५६) । इसी शिन्दखेडका शीलविजयजीने बुद्धि, गवरहित और गुरुभक्त । उनके गुरु अंचल उल्लेख किया है । यह बरारमें ही है। गच्छके हैं। वहाँ आदिनाथ और पार्श्वनाथके दो मन्दिर २ अांबा बरारका ही कोई गाँव होगा। ३ श्राकोला जिलेकी बालपुर तहसीलका एक कस्बा हैं। एक दिगम्बर मन्दिर बहुत बड़ा है। इसके पामके जंगल में कई गुफायें हैं। एक गुफामें एक इसके आगे लिखा है कि कुल्लपाकपुर-मंडन जैनमन्दिर भी है। संभव है, वह चन्द्रप्रभ भगवानका माणिक-स्वामीकी x सेवा करनी चाहिए। वहाँकी प्रतिमा भरतरायकी स्थापित की हुई है। इस तीर्थ४ यह शायद 'ऊखल्लद' अतिशय क्षेत्र हो, जो का उद्धार राजा शंकररायकी रानीने किया है। इस निजाम स्टेट रेलवेके मीरखेल स्टेशनसे तीन चार मील मिथ्याती राजाने ३६० शिवमन्दिर बनवाये और इसकी रानीने इतने ही जिनमन्दिर। इन मन्दिरोंहै। यह स्थान पहाड़ पर है, इसलिये 'गिरि' कहा जा मकता है। का विस्तार एक कोसका है, जहाँ पूजन-महोत्सव ५ कल्याणको अाजकल 'कल्याणी' कहते हैं । यह हुआ करत ह । (अगला किरण म समाप्त) निजाम राज्य के बेदर जिलेकी एक जागीरका मुख्य स्थान है। चालुक्य-नरेश सोमेश्वर (प्रथम) ने यहाँ अपनी इन संख्यायाम कुछ अतिशयोक्ति हो सकती है। राजधानी स्थापित की थी। सन् १६५६ में यहां के गढ़ पो० इन्द्र विद्यावाचस्पति-लिखित 'मुगलसाम्राज्यका या किलेको औरङ्गजेबने फ़तह किया था । क्षय और उसके कारण' नामक ग्रन्थके अनुसार इस ६ यह निजाम राज्यका जिला 'बेदर' है। शहरमें बीस हजार वेश्यायें और अगणित शराबघर थे । • हैदराबादसे पश्चिम पांच मील पर बसा हुआ पर बसा हुआ x कुल्याक या माणिकस्वामी तीर्थ निजाम स्टेटमें पुराना शहर । इमीका पुराना नाम भागनगर था। मिसाल है। वहाँ जनपिालालेग्न मिले हैं। 1यह कुतुबशाहीका अन्तिम बादशाह अबहसन- दिगम्बर जैन डिरेक्टरीके अनुसार गजपन्थमें संवत् १४४१ कुतुबशाह होगा, जो सन् १६७२ में गोलकुंडे की गद्दी पर का एक शिलालेख था जिसमें 'हँसराजकी माता गोदूबाई बैठा था । सितम्बर १६८७ में औरंगजेबने गोलकुंडा ने माणिकस्वामीका दर्शन करके अपना जन्म सफल फतह किया और अबहसनको गिरिफ्तार किया। किया' लिखा है, पर अब इस लेखका पता नहीं है ।
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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