SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 387
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तीर्थ मंदिर दक्षिणके तीर्थक्षेत्र ! [वि० सं० १७४० के लगभगके एक यात्रीकी दृष्टिमें ] 昕 5 端 ( लेखक - श्री० पं० नाथूरामजी 'प्रेमी'.) हमारे ग्रन्थभण्डारों और घरोंमें न जाने कितनी ऐतिहासिक सामग्री पड़ी हुई है जिसकी ओर बहुत ही कम ध्यान दिया गया है । बहुतसे ग्रन्थभण्डारोंकी नाममात्रकी सूचियाँ भी बन गई हैं, परन्तु सूचियाँ बनानेवालोंको शायद वह दृष्टि ही प्राप्त नहीं है जिससे वे ऐसी सामग्री की खोज कर सकें और उसको महत्व दे सकें। इसके लिए जरूरत है कि अब कोई व्यवस्थित प्रयत्न किया जाय । लगभग २७-२८ वर्ष पहले मैं सोनागिर गया था और वहाँके भट्टारकजी से मिला था। वहांके प्रन्थ-भंडारको देखनेकी मेरी प्रबल इच्छा थी । भंडार दिखलाने से उन्होंने इक्कार तो नहीं किया, परन्तु दिखलाया भी नहीं- आजकल आजकल करके टाल दिया । उसी समय मैंने उनके पास एक पुरानी बही देखी और एक बस्तेमें बँधे हुए कुछ कागज पत्र । वही सौ - सवासौ बर्षकी थी । उन दिनों भट्टारक और उनके शिष्य पंडित या पांडे अपनी गद्दी अनुशासनमें रहने वाले स्थानोंका सालमें कमसे कम एकबार दौरा करते थे और अपना बँधा हुआ टैक्स वसूल किया करते थे। उक्त बहीमें उन स्थानोंकी सिलसिलेवार सूची थी और प्रत्येक स्थानके दो दो चार चार मुखियोंके नाम भी लिखे थे। किस शिष्यके अधिकार में कहाँसे कहाँ तकका क्षेत्र है, यह भी उससे मालूम हो जाता था । अपने गांवका और उसके आस पासके परिचित स्थानों तथा मुखियोंका नाम भी मैंने उसमें देखा । मुखिया वे ही थे जिनके नाम मैंने अपनी दादीके मुँहसे सुन रक्खे थे। कहीं कहीं टैक्सकी रकम भी लिखी हुई थी । बस्ते में कुछ सुन्दर सचित्र चिट्ठियाँ थीं जो जन्मकुंडलियोंके समान काफी लम्बी और गद्यपद्यमय थीं। वे गजरथ-प्रतिष्ठाएँ करानेवालोंकी तरफसे लिखी हुई थीं। उनमें प्रतिष्ठा कराने वालेके वंशका, स्थानका, वहाँके मुखियोंका, राज्यके शौर्य वीर्यका और दूसरी आनुषंगिक बातों क
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy