SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 298
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तत्वचची। गोत्रकर्म पर शास्त्रीजीका उत्तर-लेख [ सम्पादकीय ] द्वादमहाविद्यालयके प्रधान अध्यापक पं० बहुत ही कम थी, कोई ऐसा खास शास्त्रप्रमाण भी कैलाशचन्दजीका एक लेख 'अनेकान्त' की उन्होंने अपनी तरफ़से प्रस्तुत नहीं किया था जिससे यह गत तीसरी किरणमें प्रकाशित किया गया था । वह स्पष्ट होता कि कर्मभूमिज मनुष्य ऊँच और नीच दोनों लेख बाबू सूरजभानजी वकीलके 'गोत्रकर्माश्रित गोत्रवाले होते हैं, लेखका कलेवर 'ऐसी' और इसमें के ऊँच-नीचता' शीर्षक लेखके उत्तर रूपमें था और शब्दजालमें पड़कर और उनके प्रयोग-फलको प्रदर्शित उसमें उक्त लेख पर कुछ 'नुक्ताचीनी' करते हुए बाबू करनेके लिये कई व्यर्थके उदाहरणोंको अपनी तरफसे साहबको 'गहरे भ्रमका होना' लिखा था, बाबू साहबने घड़-मढ़कर बढ़ाया गया था-अर्थात्, बाबू साहबने जयधवला तथा लब्धिसार टीकाके वाक्योंका जो निष्कर्ष अपने लेखमें उद्धृत जयधवला और लन्धिसारटीकाके अपने लेखमें निकाला था उसे 'सर्वथा भ्रान्त' 'अर्थका प्रमाणोंका जो एक संयुक्त भावार्थ दिया था उसमें मूलअनर्थ' तथा 'दुराशय' बतलाते हुए और यहां तक भी के 'इति' शब्दका अर्थ 'ऐसी' ही लिखा था, बादको लिखते हुए कि 'फलितार्थको जो कोई भी समझदार जब वे उन प्रमाणोंका निष्कर्ष निकालने बैठे तो उन्होंने व्यक्ति पढ़ेगा वह सिरधुने बिना नहीं रहेगा' बाब साहबको मूल के शब्दोंका पूरा अनुसरण न करके-निष्कर्षमें उसके कारण 'दुराशयसे युक्त', 'शास्त्रके साथ न्यायकी मलके शब्दोंका पूरा अनुसरण किया भी नहीं जाता और यथेष्ट चेष्टा न करने वाला' और 'अत्याचारी' तक न लाजिमी ही होता है उसे अपने शब्दोंमें दिया था। प्रकट किया था। साथ ही, 'वृद्धावस्थामें ऐसा अत्याचार उस निष्कर्ष में 'इसमें' शब्दका प्रयोग देखकर शास्त्रीजी न करनेका उनसे अनुरोध' भी किया था । यह सब ने उसे बलात् 'इति' शब्दका अर्थ बतलाते हुए कहा कुछ होते हुए भी शास्त्रीजीके लेखमें विचारकी सामग्री था कि 'इति' शब्दका 'इसमें अर्थ नहीं होता, 'इसमें
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy