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________________ विपत्तिका वरदान [ ले०-बा० महावीरप्रसाद जैन, बी० ए०, ] विपत्तिने निविड़ अन्धकार-पूर्ण गत्रिमें चारों धैर्यक कन्धेपर हाथ रखकर साहसनं उत्तर ओरसे साहमको घेर लिया। काले बादलोंक दिया-"माता, तो मुझे जन्म काहेको दिया सदृश उसके पारिधानने उस आच्छादित कर था ! अपनेसे लड़ना मंग धर्म बनाकर आज मुझे प्रत्येक दिशामें साहमका मार्ग रोक दिया। उमस विमुख होनका उपदेश देरही हो ?" उस प्रलयकारी अन्धकारमें बम कंवल दो विपत्तिने अबकी बार कुछ मुलायम होकर नक्षत्र चमक रहे थे। और वह साहमको दाना कहा-"तेरे इम धर्मानरागस मेरे प्रभावक आँखें थीं ! व्यापकता नष्ट हो रही है । साधारण मनुष्य भी वायुमें प्रकम्पन हुआ। अन्धकार औरभी अब तेरे बृनेपर मरा मामना करनेको उदात हो गहन हो उठा। माहमकी धर्मानयों में भी रक्तका जाते हैं।" प्रवाह बढ़ गया। उसने अपने चमकील नत्र, माहमने कण्ठमें कमगगा भरकर कहा-"माँ ! विपत्तिके आकाशको ठूत हा मिरकी ओर उठाकर क्या तुम्हाग मातृत्व तुम्हारे स्वार्थपर विजय प्रात्र पूछा नहीं कर सकेगा ? पुत्रकी गौरव-द्धिसे मानाका "माना ! क्या आज अपने पुत्रको चागं ओरसे मम्तक ऊँचा नहीं होगा? अपने एकान्त आधिपत्य घोटकर मारही डालेगी ?" का अक्षण्ण रग्बनी लानमा माता पुत्रका गला विपत्तिके विकट अट्टहाससे वायुमण्डल काँप घांट देगी ? नहीं-नहीं-माँ : मुझे वरदान दो !!" उठा। उसके सरसे काली काली लटाएँ वायुमें विपत्तिक मुम्बपर पुत्रक नेजपूर्ण मुग्व-मण्डल इधर उधर लम्बे मोको नाई लहराने लगी। . को देखकर प्रसन्नतामो फूट पड़ी । माताका "मातामं क्या अपनही पुत्रका गौरव नहीं महा वात्मल्य स्वार्थपर विजयी हुआ । गद्गद कण्ठसे जाता?" विपत्नि-पुत्र, माहमने गम्भीर स्वग्में पूछा। वह बोली-"धन्य हो पुत्र, तुम धन्य हो । वत्म, में दिग दिगान्त को कैंपादेने वाले स्वरमें गर्जन तुम्हें वरदान देती हूँ कि मेरे सन्मुख रणक्षेत्रमे कर विपत्ति बालो-" द्राहो : अपनी जननीको आकर तुम मदा विजय प्राम करो !" हा पगजित कर तू यश-लाभ चाहता है । मेरे चिर चारों ओरके बादल फट गए । और आशाका शत्र 'धैर्य' के साथ मिलकर मुझमे द्रोह करते सुनेहरा प्रकाश सारे संमारपर व्याप्त हो गया। तुझे लज्जा नहीं आती ?"
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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