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वर्ष : किरण
श्रीपालचरित्र साहित्य
१६३
दिगम्बर साहित्य
नाम
कर्ता
उल्लेख १ श्रीपाल महामुनिगम :- मकल कीर्तिशिष्य ब्रह्म जिनदास :
१६ वीं शताब्दी - " चरित्र
गोपरगट निवासी कवि परिमल (बरैया) मं० १६५१ आगरा आख्यान वीरचन्द्र प्रशिष्य वादिचन्द्र
सं०१६५१ देशाइनोंध ४ " नाटक
श्री दि. जैन उपदेशक सोसायटी द्वारा प्र० पृ० १५२ ५ मैनासुंदरी नाटक लाला न्यामतसिंह
प्र० ६ श्रीपाल * चरित्र (नं० का अनुवाद) दीपचन्दवर्णी सूरत में प्र० सचित्र मूल्य १-)
(श्रीवीर संवन १५३६ जे० ५० ११ नरसिंघपुर) नं० ३ को छोड़ककर पांचों ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं कुछ अनिश्चिन अन्यों के नाम ये हैं :
+ इनके रचित निनोक्त ग्रन्थ और भी उपलब्ध हैं जिससे इस कृत्तिमें रचना काल लिखित ८४ होने पर भी इमका ममय १६ वीं शताब्दीका पूर्वार्द्ध निश्चित होता है । , हरिवंश रास सं० १५२० ४ श्रेणिक रास ७ समकितसार रास २ यशोधर रास
५ करकंडु रास
८ सासर वासो नो रास ३ आदिनाथ राम
६ हनुमंत रास
९ धर्मपचीसी (जै० गु०क०भा०१३) "दि० जैनग्रन्थ-कता और उनके ग्रन्थ" में श्री नाथूरामजी प्रेमीने उपरोक्त प्रन्योक अतिरिक्त इस कविके रचित निनोक्त ग्रन्यांक नाम और भी दिये हैं:१० पद्मपुराण १६ साईद्वयद्वीप पूजा
२. वृहत्सिदचक्र पूजा ११ जंबूस्वामी चरित्र १७ चतुर्विशत्युद्यापन
२२ धर्म पंचासिका १२ होली चरित्र १८ मधमालोद्यापन
२३ कर्मविपाक रास श्रीपाल रामके १३ रात्रिभोजनपृथा
१९ चतुस्त्रिशदुत्तर द्वादश शतोद्यापन साथ प्र० १४ जंबूद्वीप पूजा
२० अनन्त व्रतोद्यापन २४ प्रद्युम्न रास सूरनमे छप भी चुके हैं। १५ अनन्तव्रत पूजा
* इस चरित्रकी श्रीयुत बाड़ीलाल मोतीलाल शाहने कड़ी समालोचना जैनहितेच्छुमें की थी, जिसे अनु. वादित कर बाबू चन्द्रसेन जैन वैद्य इटावा ने सन १९१८ में "श्रीपाल चरित्रकी समालोचना" के नामसे प्रकाशित की थी, मूल्य ) है।