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________________ १६२ २६ सं० १८०६ प्र० भा० सु० १३ २७ सं० १८२४ पो० व० ६ २० २८ सं० १८३७ आषाढ़ सु० २ मं० २६ सं० १८५३ का० सु० २ ३० सं० १८५६ फा० २०७० ३१ सं० १८३४ से १८५६ ३२ सं० १८७६ ३३ सं० १८६६ श्र० ३४ सं० १६१७ काती भाषा गव ३५ सं० १६८१ विजय दशमी ३६ सं० १६८१ हिन्दी गद्य ३७ सं० १९८६ हिन्दी गद्य म० प्र० ३८ ३६ श्रीपाल चौपड़ ४० ४१ ४२ श्रीपाल नाटक "" लघुरास बृहचरितं अनेकान्त घडसीसर खरतर रुघपति Nagaur नेमविजय जै० गु० क० भा० ३ ५० ५३ * पृ० १५८ पृ० ३३४ पृ० १६१ श्रजीमगंज "" "g पाटण परेडा सादडी [मार्गशिर वीर निर्धारण सं० २४६५ खरतर लालचन्द तपा चेतनविजय लांका रूपचन्द 99 कृपाविनय उदयरत्न विनय विमल ज्ञानचन्द्रजी कोचरके लि० "" खरतर तत्व कुमार तपा क्षेमवर्द्धन जै० गु० क० भा० ३ १० २८४ तपा उदयसोमसूरि पृ० ३२० हमारे संग्रह में खरतर देवराज ढुंड़क चौथमल (प्र० १७५०) + वी० पी० सिंधी सीरोहीसे प्रकाशित पं० काशीनाथ जोन सजिल्द सचित्र प्रकाशित । कन्हैयालालजी जैन कस्तला के लिखित प्र० अनिश्चित । ॐ " | उल्लेख : - - श्रीपाल - चरित्र सावचूरिकी प्रस्तावना में । मगदानन्द सूरि प्रकाशित * नं० ३१ खरतर सूर्यमलजी यतिने संशोधित कर कलकतेसे प्रकाशित किया है। * जैन गुर्जर कवियोंके भा० १-२ तो श्वे० जैन कॉन्फरेन्ससे प्रकाशित हो चुके हैं तीसरा भाग छप रहा है पृष्ठ ६२४ तक के छपे फरमे ग्रन्थ लेखक श्रीयुत मोहनलाल दलीचन्द देशाईने अवलोकन मुझे भेजे उनका उपयोग किया है। + भी जैनोदय पुस्तक प्रकाशक समिति, रतलाम से प्रकाशित ।
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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