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अनेकान्त
[मार्गशिर वीर-निर्वाण सं० २४६५
जिनदास कृत श्रीपाल महामुनिरासो की * जो कि ५ चरित्रमें श्रीपालके काकेका नाम अजितसेन प्रथम ग्रन्थसे करीब १०० वर्ष पीछेका रचित है, है, रासमें वीरदमन : लिखा है। तुलना कोजाती है।
६ चरित्रमें धवल संठको कौशाम्बीका निवासी दोनों ग्रन्थोक्त कथावस्तुकी तुलना करने के पूर्व लिखा है, राम में भरूअध्धका । यह कह देना परमावश्यक है कि दि० श्रीपालराम
७ चरित्रमें धवल जहाज न चलनेका कारण में कथा बहुत संक्षिप्त है कई बातें बिल्कुल नहीं
सिकोलरीको पूछता है, रासमें नैमित्तिकको । हैं। अतः अनेक स्थल अस्पष्टसे रह गये हैं, जबकि श्वेताम्बरीय ग्रन्थ बहुत विस्तृत व सरल हैं। अत: ८ चरित्रमें धवल बबरद्वीपमें राजा सुभटसे यहाँ कथा-पात्रोंके नामादिमें जो वैषम्य है, उसीपर बांधा गया लिखा है. राममें चोरों। संक्षिप्त विचार किया जाता है :
६ चरित्रमें बबरके राजाका नाम महाकाल व १ चरित्रमें प्रजापालकी द्वितीय राणी मयणा उसने अपनी पुत्री मदनसेना श्रीपालको व्याही
सन्दरीकी माताका नाम रूपसुन्दरी है, रासमें लिखा है, रासमें राजाका नाम नहीं व मदनकेवल सौभाग्यसुन्दरीका ही नाम है। सेनाके व्याहका कोई जिक्र नहीं है। २ चरित्रमें कन्याओंके शिक्षक शिवभूति और १० चरित्रमें मदनमंजुषाके पिताका नाम कनककेतु
सुबुद्धि लिखे हैं, रासमें नाम न देकर कंवल माताका कनकमाला एवं उनकी नगरीका नाम ब्राह्मण और मुनिही लिखा है ।। रत्नसंचया लिखा है, रासमें रत्नद्वीपका राजा ३ चरित्रमें सुरसुन्दरीके पतिको अहिछत्र विद्युतप्रभ रानी मेघमालिनी लिखा है। (शंखपुरी) के राजा दमितारिका पुत्र लिखा है, ११ चरित्रमें मदनमंजुषाके भावी पतिका नाम
रासमें केवल अहिछत्र राज-पुत्र लिखा है। चक्रेश्वरीने कहा, रासमें ज्ञानसागर मुनिने । ४ चरित्रमें श्रीपालके पिता सिंहरथका मंत्री १२ चरित्रमें समुद्रस निकलकर श्रीपालने कुंकण
मतिसागर लिखा है, रासमें आनंदपद नाम है। देशके राजा बसुपालकी पुत्री मदनमंजरीको ___* पं. दीपचन्दजी वर्णी लि. श्रीपाल-चरित्रमें व्याही लिखा है, रासमें दलपतनके राजा जो कि कविपरिमलके ग्रन्थका अनुवाद है, कविकल्पना धनपालकी पुत्री गुणमाला लिखी है। चरित्रमें ने काफी काम किया है, बहुतसे कथा-पात्र नाम व
श्रीपाल वहाँ ताम्बूलदानके कामपर रहा, प्रसंग जिनदासकृत रासमें सर्वथा भिन्न हैं। अतएव
रासमें भंडारीपदपर। हमें तुलनाका कार्य राससे करना ही विशेष उपयुक्त श्वे. स्था० मुनि चौथमलजी रचितमें भी नाम शात हुआ।
वीरदमन है।