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वर्ष २ किरण २]
श्रीपालचरित्र साहित्य
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१३ चरित्रमें धवल श्रीपालके महलपर चढ़नेपर गुजरातमें २६६ कुमारियोंका व्याहना,
छुरीसे मरा, रासमें विष खाके मरा लिखा है। बागड़के भीलोंस दण्ड लेना आदि लिखा है । १४ चरित्रमें कुंडलपुरके राजा मकरकेतुकी पुत्री ११ चरित्र में श्रीपाल पूर्वमव में हिरनपुरका राजा गुणसुन्दरीको श्रीपालने व्याही लिखा है,
था लिखा है, रासमें रत्नसंचय नगरका । रासमें मकरध्वजकी पुत्री चित्रलेखादि १००
कन्याओंके साथ व्याह होना लिखा है। २० रासमें वरदत्तमुनिसे सिद्धचक्र व्रत आषाढ़ १५ चरित्रमें ब्रजसेनकी पुत्री त्रैलोक्यसुन्दरीसे
कार्तिक फाल्गुन शुक्लमें ८ दिन व्रत करने
रूप १२ वर्षतक करने का बतलाया श्रीकांत विवाह होना लिखा है। रासमें विशालमति
११ वें स्वर्ग गया लिखा है चरित्रमें मुनिका आदि ६०० कन्याओं को व्याहा बतलाया है।
नाम नहीं व अन्य सिद्धचक्रादिका विशेष १६ चरित्र में देवदलके राजा धरापालकी राणी स्वरूप नहीं लिखा है।
गुणमालाकी पुत्री शृङ्गार सुन्दरीको ५ सम्बियों सहित-समस्या पूर्णकर व्याही लिखा है, रासमें २१ चरित्रमें श्रीपालके ६ राणिये त्रिभुवनपालादि । कुंडलदेशके विनयसनकी जसोमालारानी थी पुत्र ६ हजार हाथी ६ हजार रथ ६ लाख घोड़े
और उस राजाकी १६०० कन्याओं को जिनमें करोड़ पैदलका परिमाण था १०० वर्षाय सौभाग्य गौरी आदि = मुख्य थीं उनकी भोग १ वे स्वर्ग गये । वे भवमें मोक्ष होगा समस्या पूर्तिकर व्याही लिखा है।
लिखा है, रासमें पुत्र महिपालादि १२००८
१२ हजार हाथी १२ लाख घोड़े १२ हजार रथ १७ चरित्रमें इसके बाद कुल्लागपुरके पुरन्दर
१२ करोड़ पैदल, सुव्रत मुनिके पास दीक्षा विजयाकी पुत्री जयसुन्दरीको राधावेधसाध
२ राजाओंके साथ ली व केवल ज्ञान प्राप्त कर कर व्याही लिखा है रासमें मल्लदेशकी ७००
मोक्ष पधारे लिखा है। कन्याओंको व तिलंगकी १००० कन्याओंको । १८ चरित्रमें वसुपालके राज्य देने, उज्जैन जाते
श्वेताम्बरीय श्रीपाल चरित्र-साहित्य मार्गमें सोपारकके राजा महासेनकी पुत्री (संवतानुक्रम से) तिलकसुन्दरीको निर्विषकर व्याही लिखा है,
प्राकृत रासमें १२ वर्ष पूर्ण होनेसे उज्जैनकी ओर चलते गिरनार यात्रा फाल्गुनमें अठाई महो- १ श्रीपाल चरित्र:- कर्ता-तपा गछीय रत्नत्सव सिद्धक्षेत्र यात्रा ५०० कन्या पाणिग्रहण
शेखरसूरि सं० १४२८ शि० अरिदमनका सेवक होना, मरहठदेशमें ५००
हेमचन्द लि० गाथा १३४२