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________________ R अनुसन्धान श्रीपालचरित्र साहित्य (ले०-श्री अगरचन्दजी नाहटा बीकानेर) एवेनाम्बर और दिगम्बर दोनों सम्प्रदायोंमें से + वह यों ही पड़ी रही। कई दि० विद्वानोंसे श्रीपाल गजाकी कथा विशेष म्पसे प्रच- पृछनेपर भी इस सम्बन्धमें विशेष ज्ञातव्य नहीं लित है और वह भी सैंकड़ों वर्षोंसे। अतएव मिला, अत: अबतक अन्वेषणके फलम्बम्प जो इम कथाका साहित्य विपुल प्रमाणमें उपलब्ध कुछ विदित हुआ है उसे प्रकाशित कर देना होना म्वाभाविक ही है। उस सारे साहित्यकी पूरी परमावश्यक समझता है, जिससे जितना अन्वेपरण खोजकर एक आलोचनात्मक निबंध लिखनकी अपूर्ण रह रहा है, वह भविश्यमें पूर्ण होकर विशेष कई वर्षोंसे इच्छा थी और गतवर्ष तद्विषयक रूपसे विचार करनेका अवकाश प्राप्त होसके । श्वेताम्बर साहित्यकी एक सूची भी तैयार करली आशा है विद्वद्गण इस सम्बन्ध में विशेष प्रकाश थी पर दिगम्बर माहित्यका यथोचित पता न होने डालनेकी कृपा करेंगे। + पता न होनेका मुख्य कारण यह है कि दि० सूची (भा० १.२) १० कलकत्ता संस्कृत कॉलेज जैनग्रन्थ जैन-ग्रन्थोंकी कोई भी विशाल एवं प्रामाणिक सूची सूची ११ रॉयल ऐसियाटिक सोसायटी जैनग्रन्थ मूची १२ प्रकाशित नहीं हुई; जबकि श्वेताम्बर समाजमें १ बम्बई एसियाटिक सोसायटी जैनग्रन्थ सूची व अनेक जैनग्रथावली २ बड़ी भंडार सूची ३ सूरत (११ भंडार) रिपोर्ट तथा १३ जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास जैसी भांडागार दर्शिका सूची ४ मोहनलालजी शानभंडार पुस्तकें प्रकाशित होचुकी है । दि० समाजका सर्व प्रथम सूरत-सूचीपत्र ५ उज्जैन भंडारसूची ६ रत्नप्रभाकर कर्तव्य है कि वह जैनसाहित्यके इतिहासकी भांति शीघ्र शानभंडार ओसिया ७ जैसलमेर मंडार मूची पाटणभंडार न होसके तो भी जैनग्रन्थावलीकी भांति सर्व दि. सूची ९भांडारकर ओरियंटल रिसर्च इन्स्टीटयूट संग्रहकी अन्योंकी विशाल सूची प्रकट अवश्य करे।
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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