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________________ सम्पादकी १ प्रास्ताविक निवेदन वीरनिर्वाण संवत् २४५७ के प्रारम्भ होते उठाना पड़ा था । इस घटेको प्रदर्शित और उसकी पूर्ति के लिये अपील करते हुये मैंने उस समय लिखा था ही कार्तिक सुदिमें, 'अनेकान्त' के प्रथम वर्षकी १२ वीं किरणको प्रकाशित करते हुए, अगले वर्षकी जो सूचना निकाली गई थी उसमें समन्तभद्राश्रमका स्थान परिवर्तन, नया डिक्लेरेशन, नया प्रेस - प्रबन्ध और पोस्ट ऑफिसकी नई रजिस्टरी आदि कुछ कारणोंके वश दूसरे वर्ष की प्रथम किरणको विशेषाङ्क रूपसे चैत्र में निका लनेकी सूचनाकी गई थी। उस समय किसीको स्वप्रमें भी यह ख़याल नहीं था कि उक्त १२ वीं किरण और इस प्रथम किरणके मध्यमें पूरा आठ वर्षका अन्तराल होगा और मुझे इतने लम्बे समय तक अपने पाठकों की सेवासे वंचित रहना पड़ेगाश्रीकेबली भगवान् ही जानते होंगे कि इस किरण के उदयमें उस समय ठीक आठ वर्षका श्रबाधाकाल पड़ा हुआ है। यही वजह है जो इस बीचमें किये गये प्रयत्न सफल नहीं हो सके और यदि एक महान सुवर्ण अवसर प्राप्त भी हुआ तो, उस समय मैं स्वयं पत्रका सम्पादनभार उठानेके लिये तय्यार न हो सका । पाठकों को मालूम है कि 'अनेकान्त' को उस के प्रथम वर्ष में (००) रु० के क़रीबका घाटा 7075 * देखो प्रथम वर्षकी किरण १२, पृ० ६६८-६९ ARDWARE घाटा उठान "यह घाटा बजटके भीतर ही रहा, इतनी तो सन्तोषकी बात है । और यह भी ठीक है कि समाजके प्रायः सभी पत्र घाटेस चल रहे हैं और उनकी स्थिति आदिको दृष्टिसे यह घाटा कुछ अधिक नहीं है । ऐसे पत्रोंको तो शुरूशुरू में और भी अधिक पड़ता है; क्योंकि समाजमें ऐसे ऊँचे गंम्भीर तथा ठोस साहित्यको पढ़नेवालों की संख्या बहुत कम होती है - जैनसमाजमें तो वह और भी कम है । ऐसे पाठक तो वास्तव में पैदा किये जाते हैं और वे तभी पैदा हो सकते हैं जब इस प्रकार - के साहित्यका जनतामें अनेक युक्तियोंसे अधिकाधिक प्रचार किया जाय - प्रचारकार्य में बड़ी शक्ति है, वह लोकरुचिको बदल देता है । परन्तु वह प्रचारकार्य तभी बन सकता है जब कि कुछ उदार महानुभाव ऐसे कार्य की पीठ पर हों और उसकी सहायतामें उनका ख़ास हाथ हो। जितने हिन्दीपत्र आज उन्नत दीख पड़ते हैं, उनकी उन्नतिके इतिहासमें यही रहम्य संनिहित है कि उन्होंने
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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