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वर्ष २ किरण १]
अहिंसा धर्म और धार्मिक निर्दयता प्रथाको बन्द किया है, बालविवाहोंमें कुछ रुकावट लोकमत प्रबलताको देखकर धर्ममें भी हस्ताक्षेप डाली है, लाहौर में बूचड़खाना बनाने के विचारका करती है । अतः हमको भारतके कोने कोनेमें परित्याग किया है और बंगाल सरकारने अभी- अान्दोलन करके धर्मके नामपर पशुओंपर किये अभी एक क़ानून बनाकर प्रांतको फूका प्रथाको जाने वाले इन घोर अत्याचारोंको एकदम बंद बन्द किया है।
करा देना चाहिये । इस समय महात्मा गांधी तथा इन उदाहरणोंसे यह स्पष्ट है कि सरकार पंडित जवाहरलाल नेहरू तक पशुबलिको जंगली
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उयनपल्ली जैसे स्थानों में जीवित पशुकी बली देते समय उस की गर्दनको थोड़ासा काट लिया जाता है फिर उस टपकत हुए रक्तको कटोरसे देवीके सामने पियाजाताहै। बेचारा पशु महावदना भोगता हुआ तड़प २ कर प्राण दे देता
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प्रथा बनला कर उसका विरोध कर रहे हैं। और विरोधमें उठे हुए हैं। अतः यह अवसर आन्दीभी कुछ सजन प्राणोंकी बाजी लगाकर पशुबलिके लनके लिये बहुत अनुकूल है।
-* **:* इस लेग्वके लिग्वनमें मद्रासकी साउथ इण्डियन धर्मनिटेरियन लीगकी ओरसे हालमें प्रकाशित (I tarian Outlook) नामक पुस्तकका पूरा उपयोग किया गया है-चित्रभी उसी परमे लिये गये हैं। इसके लिये हम उक्त लीगका हृदयसे आभार मानते हैं और साथ ही उसके संचालकों तथा कार्यकर्तामोका खुला धन्य वाद करते हैं, जो मानव समाजक कलंकरूप मे निदय एवं कर बनिविधान की रोकके लिये प्रयत्नशील हैं।
---लेम्वक