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________________ ६४ अनेकान्त [कार्तिक, वीर-निर्वाण सं० २४६५ १४५, ५८० बाड़ॉमें पशुओंका निरीक्षण किया। साफ करके धड़ियों गेगल आदि कूड़ियों पर फेंक ___ पशुओंकी अपेक्षा हमाग पक्षियोंके प्रति देते हैं, किन्तु यदि हम उसको किसी सार्वजनिक भी कम उत्तरदायित्व नहीं है। जैन मंदिरों स्थान पर डलवादिया करें तो, उससे अनेक में प्रायः कबूनगेंको चाग डाला जाता है। वाम्नव पक्षियोंको लाभ हो सकता है। अनेक लोगों की में हमाग उनके प्रति एक विशेष कर्तव्य है। ऐसी बुरी आदत होती है कि वह उन प्रकृतिके जिन पक्षियोंको मनुष्य अपने प्रेमवश किमी स्थान मंगीतवाहकों को लोहेके पिंजरेमें बंद करदेते हैं; विशपमें लाता है, उनके प्रनि तो उसका विशेष अनेक व्यक्ति तोते, मैना, आदि अनेक प्रकार कर्तव्य होता जाता है। हमलोग अपने अनाजपातका के पक्षियोंको पिंजरेमें बन्द रखते हैं; किन्तु वह स विज़गापट्टम जिलेके अनाकवल्ले नामक स्थानमें एक ऐसा बलिदान किया जाता है जिसमें भाले जैसी एक तेज़ नोकदार छुरीको सूअर के गुदास्थानमें डाल कर इतने ज़ोरसे दबाया जाता है कि वह अंदरके भागोंको फाइतीहुई उसके मुंहमें से निकल आती है S/ .. यह नहीं समझते कि प्रत्येक पक्षि जितना सुन्दर मनुष्य उनको पिंजरे में बन्द करके ही संतुष्ट खुली वायुमें स्वतन्त्रता पूर्वक श्वास लेकर गाता नहीं होता, वह उनको पकड़ता है उनका शिकार है उतना पिंजरे के अंदर बन्द रह कर कभी नहीं करता है और उनपर अनेक प्रकारके अत्याचार गा सकता। वास्तवमें हरे हरे खेतोंसे उड़ कर करता है। कई एक व्यक्ति तो इन, निर्बल प्राणियों नीले आकाशमें गाते हुए जाने वाले पक्षियोंको को मारकाट कर बड़ी शानसे कहा करते हैं, कि देखकर कितना आनन्द होता है ? इस गीतको आज हमने इतने पक्षियोंका शिकार किया । सुनकर कभीभी मन नहीं भरता । किन्तु स्वार्थी शिकारियोंकी अपेक्षा बहेलिये या चिडीमार लोग
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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