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________________ १३ वर्ष २ किरण १]] अहिंसाधर्म और धार्मिक निर्दयता मालिकोंके स्पेन युद्ध में मारे जाने अथवा लगे माडिमें केवल एक समिति पशुरताका होने के कारण स्पेनके नगरोंकी सुनसान गलियों कार्य करती थी, किन्तु वह अत्यम्त यत्नशील में खाना ढूंढते हुए घूम रहे हैं । खाना न मिलने होती हुई भी उनकी बढ़ी हुई संख्याके कारण के कारण उक्त पशुओंके पंजर निकल आए हैं। उनकी आवश्यकताको पूर्ति करने में असमर्थ है। उन पशुओंमें अनेक उच्च नस्लके कुत्तेभी हैं, इसलिये उक्त समितिने संसार भरके दयालु जो स्पेनकी बमवर्षामें अनाथ होगए हैं। पुरुषोंसे अपीलकी है कि वह अपनी चंचल मा tes SS दक्षिणी अरकाट जिले के पूवानूर नामक स्थानमें बकरके गलेको नेहानी वा छीनी मे धीरे-धीरे काटकर उसको असीम वंदना पहुंचाई जानी है। बलिदानका यह कार्य संभवतः कमाईके हलान करनेसे भी अधिक निन्द यतापूर्ण है। C. YAN. .. लामीका कुछ भाग म्पन भेजकर उन पशुओंकी निवारक समिति (Stions for the Pr रक्षाक कार्यमें सहायता दें। tion ( 1 ) Animals की कनाडामं भी पशुओंक प्रति निर्दयता पूर्ण रिपोर्ट को देखने पर पता चलता है कि ममिति व्यवहारक विरुद्ध घोर आंदोलन किया जारहा के पाम आर्थिक माधनों की कमी नहीं है । उम है। गरेटो ह्यमन मोमाइटीक मैनेजिंग डाइरेक्टर वर्ष उमको अकली ए० काट जर्विम स्टेटस मिस्टर जान मैकनलने पशुश्रांक ऊपर वैज्ञानिक ही दम सहन बाला मिल थे, इसके पदाधिकारी प्रयोग किये जानेका विरोध जोरदार शब्दाम नगर बाहिर १४५ मौकों पर गए । उन्होंने किया है। कनाडाकी पशुपक्षा-समिति जीवित १८०५ पशु निर्दयताकी शिकायतें सुनी. जिनमें प्राणियोंका ऑपरेशन करनेके विरुद्ध घोर से उन्होंने १३६८ को चेतावनी देकर छोड़ दिया आंदोलन कर रही है, कनाडाकी पशु-निर्दयता और ८२ मामलाम मजा कगई । उसने
SR No.538002
Book TitleAnekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1938
Total Pages759
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size105 MB
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