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अनकान्त
कार्तिक, वीर-निर्वाण सं० २४६५
जाता है। इस आपधि के विषयमं खूब बढ़ाचढ़ा व्यर्थ प्रयोगका विरोध बड़े प्रभाव शाली शब्दोंमें कर विज्ञापन निकाल जाते हैं। किन्तु संयुक्तराज्य किया गया । इस विषयमें कैलिफोर्नियाकी अमेरिकामं म्वाश्य-विभागका कहना है कि इस पशुरक्षा समिति तथा जिवित-प्राणि-शल्य प्रकार निर्दयता-पूर्वक निकाले हुए किमी भी मीरम विरोधी समितिकं प्रधानने लिखा है-"भारतक ने शिशु-पक्षाघातको अच्छा नहीं किया। तीर्थस्थान आध्यात्मिक सौन्दर्य और उन्नतिक
भंडार हैं। वह मनुष्यों के अतिरिक्त पशुओंको प्राणियों पर दया तथा अव्यर्थ महीपधि भी प्रेमभावसे रहनेकी शिक्षा देते है: अतएवं न होनक कारण बंदरोंके उपर इस निर्दय तथा ऐसी शिक्षा देने वाला भारत पवित्र नियमका
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टिन्नेवली जिलेमें तो इतनी अमानुपिकता की जाती है . कि वहाँ एक गर्भ वती भेड़के गर्भाशयको फाड़कर उसमसे बच्चोंको इस लिये निकाल लिया जाता है कि उन्हें देवकोट्टामें कोटयम्मापर. मायावरममें मरियम्मापर और पालमकाहामं अयिर थम्मनपर बलि चढ़ाया जाता है।
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उल्लंघन कुत्सित और नीच विदेशी पैसके लिये यद्यपि अाज स्पेन प्रांतरिक युद्धके कप्टस नहीं कर सकता । हम संसारके सभी धर्मोके जीवन और मृत्युके सन्धि-स्थल पर खड़ा है, नाम पर आपसे दया, सत्य और न्यायके लिये किन्तु उन मूक प्राणियों के कष्टसे उसका हृदय अपील करते हैं।" उन सब लोगों की यह बड़ी भी पिघल गया है । उसकी जीवदया सभाके भारी अभिलाषा है कि भारतवर्पके बन्दरोंका मितम्बर १६३७ के एक पत्र में स्पेन के उन पशुओं बाहिर भेजा जाना एक दम बंद होजावे ।
की रक्षा करनेकी अपील की गई है, जो अपने