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पौष, वीर नि०सं०२४५६]
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा कुछ काम न आवेगा तेरे यह लाल-जमुर्रद-'सीमो जर, सबजी बाटमें बिखरेगी जब आन बनेगी जान ऊपर नौबत-नकारे-बान-निशॉ-दौलत हशमत-कौजे-लश्कर,क्यामसनद-तकिया-मुल्क-मकॉ,क्याचौकी कुरसी-तख्त-छतर
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बनजारा।
कज्जाक अजल का लूटे है दिन रात बजा कर नकारा ।। ६ ॥ क्यो जी पर बोझ उठाता है इन गोनों भारी भारी के, जब मौत लुटेरा आन पड़ा फिर दूने हैं बेपारी के। क्या साज़ जड़ाऊ जड़-जेवर, क्या गोटे थान-किनारी के, क्या घोड़े जीन सुनहरीके, क्या हाथी लाल अमारी के ।
सब ठाठ पड़ रह जावेगा जब लाद चलेगा बनजारा ।
कज्जान अजल का लटे है दिय रात बजा कर नकारा ॥ ७ ॥ मग़रूर न हो तलवारों पर मत भूल भरोमे ढालोंके, सब पटा तोड़के भागेंगे मुंह देख अजलके भालों के । क्या डब्बे माती-हीरोंके क्या ढेर खजाने मालोंके, क्या बुग़चे तार-मुशजरके, क्या तन्ते शाल-दुशालों के ।।
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बनजारा ।।
कज्जाक अजलका लूटे है दिन रात बजा कर नक्कारा ॥ ८॥ क्या सख्त मकाँ बनवाता है, १३नम तेरे तनका है पोला, तु ऊंचे कोट उठाता है वहां तेरी १४गोरने मुँह खोला । क्या रेती-खंदक-रुन्द बड़े, क्या बुर्ज-कॅगरा अनमोला, गढ़-कोट-गहनला-तोप-किला,क्या सीमा-दारू और गोला ।।
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बनजारा।
कज्जाक अजल का लूटे है दिन गत बजा कर नकाग ।।७।। हर पान नफे और टोटे में क्यों मरता फिरताहै बन बन, १५श्रयग़ाफ़िल ! दिल में सोच जग है साथ लगे नरेदुश्मन । क्या लौंडी-बॉदी-दाई-ददा,क्याबन्दा-चेला-नेकचलन,क्या मंदिर-मस्जिद-ताल-कुएँ,क्या घाट-मरा क्या बाराचमन।।
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बनजारा ।
कज्जान अजलका लटे है दिन गत बजा कर नकारा ।। १० ।। जब चलते चलते रस्तमें यह गौन तेरी ढल जावेगी, एक बधिया तेरी मिट्टी पर फिर घास न चरन श्रावंगी। यह खेप जो तन लादी है सब हिस्सों में बट जावेगी, धी-पूत-जॅवाई-बेटा क्या, बनजाग्न पाम न आवंगी।
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलंगा बनजाग ।
कज्जाक अजलका लूटे है दिन गत बजाकर नकारा ।। ११।। जब मुर्ग फिराकर चाबुकको यह बैल बदनका हॉकेगा, कोई नाज समेटेगा तेरा, कोई गौन सिर और टांकेगा। हो ढेर अकेला जंगल में तू खाक लहदकी फांकेगा,उम जंगलमें फिर आह! 'नजीर' एक तिनका आन न झांकेगा।।
मब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बनजारा । कज्जाक़ अजलका लुटे है दिन रात बजा कर नकाग ॥ १२ ॥
----- 3:47 . . पन्ना : चांदी सोना, १०ध्वजा, ११वैभव, १० अभिमानी-घनदी, १ अड, १४ ऋत्र, १ मन्यम अनभिज्ञ १: प्रगाव १५कत्र