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________________ अनेकान्त [वर्ष १, किरण १ मानूंगा" । "मुझे आपके इस कार्यसे इतनी खुशी हमेशा इस तजवीजका आश्रम और संघकी है जितनी आपको । क्या यह 'विश्वभारती' या तरक्कीके लिये है।" "यदि अब भी जैमसमाज 'शांतिनिकेतन' की तरह किसी तरह न चमकेगा ? सचेत होजाय, और श्री समन्तभद्राश्रम की शरण अवश्य चमकेगा । संगठन होना चाहिये । मैं हर लेकर अपने द्रव्य, समय और शक्ति का सदुपयोग समय आश्रमकी और अनेकान्तकी सेवा करनेको करे,तो समाजका उत्थान, धर्मकी प्रभावना कष्टतय्यार हूँ। मैं युवक हूँ और युवक रहूँगा। मुझ साध्य नहीं है। फिर भी जैनधर्म दिगन्तव्यापी सं समय समय पर अवश्य सेवा लिया कीजिये। सार्वधर्म हो कर संसार का कल्याणकर हो आपने जातिको जमानका कार्य उठाया है समाज सकता है।" इसके महत्वको दश बर्प बाद समझेगा । युवकोंका १६ वाव हीरालालजी एम० ए०, प्रोफेसर कार्य सिखाइये और रास्ता दिखा जाइये ।” किंग एडवर्ड कालिज, अमरावती-- १२ पं० दीपचन्दजी वर्णी, अधिष्ठाता " आपकी समन्तभद्राश्रम वाली स्कीम बहुत 'ऋषभब्रह्मचर्याश्रम' मथुरा अच्छी है आशा है जैन संसार उसे सच्चे हृदयसे " आश्रम कल दिन शुभ मुहूर्त में खुल गया यह अपनावेगा।" जान कर अत्यंत हर्ष हुआ । आपकी चिरकालकी १७ बाब भगवानदासजी बी०ए० रिटायर्डशुभ भावनाओंका ही यह फल है और आशा है हेडमास्टर इलाहाबाद--- कि यह आश्रम वास्तविक धर्मप्रभावना का इस कार्य अति सराहनीय है जो चल जावे," "आप कालमें प्रधान कारण होगा।" मुझे यहाँ रह कर उचित संवा विपयमें अवश्य १३ पं. अर्हदासजी, गईस पानीपत-- लिखिये ।" “ मैं हर किस्मकी मदद के लिये तय्यार हूँ। आपकं १८ बाबू चेतनदासजी बी० ए० हेडमास्टर इम कामका कामयाब बनानक लिय श्रापाढ़ ग. हाई स्कूल मथग-- सावनमें चंदा करनेका भी इरादा है।" "मैं आपकी " मुझे बड़ा हर्ष है कि आपने धर्म तथा समाज म्कीम और ख्यालसे मुताबक़त रखता हूँ। आप के उत्थान का काम अपने हाथमें लिया । कोई क्रिकर न करना, अनक़रीब मैं भी हाज़िर कार्यसूची बहुत अच्छी बनी है। ... ... ... .. खिदमत हूँगा।" ___ मैंने पहिली नवम्बरसे सर्विससे रिटायर होनेक १४ मुनि न्यायविजयनी, बड़ौदा--- लिये छुट्टी लेली है । इसलिये आपके आश्रमक "आपका प्रयत्न महान स्तुत्य है । सरस्वतीके ढंग नियमोंके अनुसार कुछ काम करने का अवसर की एक मासिक पत्रिका की जैनसमाजमें सख्त अवश्य मिल सकेगा। और जहाँ तक हो सकेगा जरूरत है। आपने उसे पूरा करने का बीड़ा सभी कामोंमें छुछ न कुछ सहायता देने का उठाया है सो बहुत आनन्द की बात है।" प्रयत्न करूँगा।" १५ बाब अजितप्रसादजी एम० ए० जज १६ बा० ऋषभदासजी बी०ए० वकील मेरठ, ___“ काम आपने यह बहुत अच्छा शुरू किया है हाई कोर्ट, बीकानेर-- और बडे महत्व का है। लेकिन इसमें लाखों “अगर मेरे जजबएदिलमें असर है और दुश्रामें रुपये की जरूरत है। मेरे ख्यालमें जैनसमाजसे कुछ ताक़त है और अलफाजमें कुछ कुदरत है तो इस क़दर रुपया इकट्ठा होना नामुमकिन है
SR No.538001
Book TitleAnekant 1930 Book 01 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1930
Total Pages660
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size83 MB
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