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________________ अनेकान्त वर्ष १, किरण ६. परस्थवर्णं नव नव पंचाट कल्पते क्रमशः' बड़ी कृतियों तकमें रचना-संवत् का उल्लेख नहीं है ना इत्यादि वाक्यानुसारिणी वीक पद्धतिसे विक्रम संवत् इस छोटीसी कृतिमें उनके द्वारा रचना-संवत्का बाहेर १५७४ जान पड़ता है। इस वर्षकी आश्विन शुद्धा हो यह बात कुछ समझमें नहीं पाती। और इस लिये द्वितीया को यह काम्य निर्मित हुआ है। अन्यथा, इस कतिको सहसा उनकी मान लेने में बहुत ही संकार 'विक्रमम्य वसशके' का अर्थ यदि विक्रम संवत् ८ होता है ।मालम हुभा है कि इस काव्य पर एक टीका किया माय तो वह कुछ ठीक मालूम नहीं होता। भी है परंतु वह अभी तक उपलब्ध नहीं हो सकी। उप इतिहाससे उस वक्त किसी भी ऐसे 'भकलंकदेव' के लम्ब होनेपर पाठकों को उसका परिचय कराया जायगा मस्तिस्वका पता नहीं चलवा । परन्तु विक्रमकी १६वीं और तभी इस स्तोत्रका अनुवाद भी पाठकोंकी सेवा शताब्दी में प्रकलंकदेव नामके कुछ विद्वान पर हुए प्रस्तुत किया जायगा । संभव है कि टीका परसे इस है। उन्हीं में से यह किसीकी रचना जान पड़ती है। और रचना-समय पर भी कुछ विशेष प्रकाश पड़ सके। । इस लिये इम काम्यके कर्ताको विक्रमकी ७ वी ८ वीं . जिन भाईयों को किसी दूसरे शासमंडारसे यह शनाम्दी में होने वाले राजवातिकादि प्रन्योंके विधाता काम्य अथवा इसकी कोई संस्कृत टीका उपलब्ध हा भाकलंकरेक्से मिलकहना चाहिये । हाँ, 'सुशके उन्हें रुपया पर इन पंक्तियों के लेखकको उससे की जगह यदि 'पसुशवे' पाठ हो और उसका मिः सूचित करना चाहिये और हो सके तो तुलना करके भाब ८०० संवत् न लेकर पाठवीं शताम्दी लिया आ इस प्रविको विशेषताकोभीसाबमें नोटकरदेना चाहिये, सके वो यह ति उन महाकलंकदेवकी भी हो सकती जिससे पाठकी महति माविन भी संसोधनहोसके। है। फिर भी कि मट्टाकलंकदेवकी उपलब्ध पड़ी । -सम्पादक বিকা [१-२४] भी नामि सूनो जिन साई भी म बाबा तवे ममे हा जीवरा पर रोहिरेपी मात खं पर माजुदी र [२-२३] बी नंद माथा म्पवयंति पाया म बामदेवा जित मां पार्स जि को गिना रोग निविली ना ६ पामियानादपि पारर्वना . [३-२२] संसार पारो बनि मेव मा ने म बलदो संभव पय मामि स्याः स्वयं से मद मोह मा ना ब मंग मंगे सति नेमि ना मि होकि मैना अभिनंर नेन 4 व मंत्री व परामि रवा परिवऽपि नृपेचमा ना न मे मबि बानमा
SR No.538001
Book TitleAnekant 1930 Book 01 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1930
Total Pages660
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size83 MB
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