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________________ मार्गशिर, वीरनि० सं० २४५६ मानकर ४३७ वर्ष पहले मानना चाहिये, जो किसी तरह भी मान्य किये जानेके योग्य नहीं । आपने यह तो स्वीकार किया है कि प्रचलित विक्रमसंवतकी गणना नुसार वीरनिर्वाण ई० सन्से ५२७ वर्ष पहले ही बैठता है परंतु इसे महज इस बुनियाद पर असंभवित क़रार दे दिया है कि इससे महावीरका निर्वाण बुद्धनिर्वाणसं पहले ठहरता है, जो आपको इष्ट नहीं । परंतु इस तरह पर उसे असंभवित क़रार नहीं दिया जासकता; क्योंकि बुद्धनिर्वाण ई० सन्से ५४४ वर्ष पहले भी माना जाता है, जिसका आपने कोई निराकरण नहीं किया । और इसलिये बुद्धका निर्वाण महावीर के निर्वाणसे पहले होने पर भी आपके इस कथनका मुख्य आधार आपकी यह मान्यता ही रह जाती है कि बुद्ध-निर्वाण ई० सनसे पूर्व ४८५ और ४५३ के मध्यवर्ती किसी समयमें हुआ है, जिसके समर्थन में आपने कोई भी मवल प्रमाण उपस्थित नहीं किया और इस लिये वह मान्य किये जाने के योग्य नहीं । इसके सिवाय, अनंद विक्रम संवतकी जिस कल्पनाको आपने अपनाया है वह कल्पना ही निर्मूल है— अनन्दविक्रम नामका कोई मंत्र भी प्रचलित नहीं हुआ और न चन्द्रवरदाईके नाम मे प्रसिद्ध होने वाले 'पृथ्वीराजरासे' में ही उसका उल्लेख है —— और इस बातको जानने के लिये रायबहादुर पं० गौरीशंकर हीराचन्दजी ओझाका 'अनन्द विक्रम संवन की कल्पना' नामका वह लेख पर्याप्त है जो नागरी प्रचारिणी पत्रिकाके प्रथम भाग में, पृ० ३७७ से ४५४ तक मुद्रित हुआ है। भगवान महावीर और उनका समय २३ मूलक जान पड़ती है और महावीर भगवान के साथ जिसका संबंध ठीक नहीं बैठता, यह प्रतिपादन किया है कि महावीरका निर्वाण बुद्धके निर्वाणसे पहले हुआ है । परन्तु वस्तुस्थिति ऐसी नहीं जान पड़ती । 'भगवती सूत्र' आदि श्वेताम्बर प्रन्थोंसे मालूम होता है कि महावीर - निर्वाणसे १६ वर्ष पहले गोशालक (मंखलि - पुत्त गोशाल) का स्वर्गवास हुआ, गोशालक के स्वर्गवास के अनन्तर निकट समयमें ही अजातशत्रुका राज्यारोहण हुआ, उसके राज्य के आठवें वर्ष में बुद्धका निर्वाण हुआ और बुद्धके निर्वाणसे आठ वर्ष बाद अथवा अजातशत्रु के राज्यके १६ वें वर्ष में महावीरका निर्वाण हुआ । इस तरह बुद्धका निर्वाण पहले और महावीरका निर्वाण उसके बाद आठ वर्ष के भीतर पाया जाता है। इसके सिवाय, हेमचन्द्राचार्यने चंद्रगुप्तका राज्यारोहण-समय वीरनिर्वाण से १५५ वर्ष बाद बतलाया है और 'दीपवंश' 'महावंश' नामके बौद्ध प्रन्थोंमें वही समय बुद्ध निर्वाणसे १६२ वर्ष बाद बतलाया गया है। इससे भी प्रकृत विषयका समर्थन होता है और यह स्पष्ट जाना जाता है कि वीरनिर्वाण से बुद्ध निर्वाण ७-८ वर्ष के क़रीब पहले हुआ है । मैं एक बात यहाँ पर और भी बतला देना चाहता हूँ और वह यह कि बुद्धदेव भगवान् महावीरके समकालीन थे । कुछ विद्वानोंने बौद्धग्रन्थकी एक घटना को लेकर, जो बहुत कुछ अप्राकृतिक तथा द्वेष बुद्धनिर्वाणकं समय-सम्बन्धमें भी विद्वानोंका मतभेद है और वह महावीर - निर्वाण के समय से भी अधिक विवादग्रस्त चल रहा है। परंतु लंका में जो बुद्धनिर्वाण संवन प्रचलित है वह सबसे अधिक मान्य किया जाता है। उसके अनुसार बुद्धनिर्वाण ई० सनसे ५४४ वर्ष पहले हुआ है । हो सकता है कि इसमें दश * देखो, 'जेनयुग' में श्रीहीरालाल अमृतलाल शाहका 'निर्वाणसमयनी चर्चा' नामक लेख, तथा जार्ल चापेंटियरका वह प्रसिद्ध लेख जिसका अनुवाद जैनसाहित्यसंशोधकके द्वितीय खडके दूसरे म में प्रकाशित हुआ है और जिसमें बौद्धग्रन्थकी उस घटना पर स्वासी प्रापत्ति की गई है ।
SR No.538001
Book TitleAnekant 1930 Book 01 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1930
Total Pages660
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size83 MB
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