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________________ २४ अनकान्त [वर्ष १, किरण १ वर्ष की कोई भूल हो और बुद्धनिर्वाण ई०सन्से ५३४ नीच और अछूत वर्षके करीब पहले हुआ हो । ऐसा होनेपर वीरनिर्वाण (ले०-भगवन्त गणपति गोइलीय) के साथ उसका ८-७ वर्ष का अन्तर ठीक बैठ जाता नालीके मैले पानीसे मैं बोला हहराय; है क्योंकि वीरनिर्वाणका समय, विक्रम संवत्से ४७० हौले बहरे नीच कहीं तू मुझपर उचट न जाय । वर्ष पहले होनेके कारण ईसवी सन् से ५२७ वर्ष पूर्व । 'भला महाशय !' कह पानीने भरी एक मुसकान; पाया जाता है । इस ५२७ में १८ वर्षकी वृद्धि कर देने बहता चला गया गानासा एक मनोहर गान ॥ १ से वह ५४५ वर्ष पूर्व होजाता है-अर्थात्, बुद्धनिर्वाण एक दिवस मैं गया नहाने किसी नदीक तीर के उक्त लंकामान्य समयसे एक वर्ष पहले । अतः जिन __ ज्यों ही जल अजलिमें लेकर मलने लगा शरीर । त्योंही जल बोला मैं ही हूँ उस नालीका नीर; विद्वानों ने महावीरकं निर्वाणको बुद्धनिर्वाणसे पहले लज्जित हुआ, काठ मारासा मेग सकल शरीर।।२ मान लेनेकी वजहसे प्रचलित वीरनिर्वाण संवत् में १८ दैतुअन तोड़ी मुँहमें डाली वह बोली मुसुकाय; वर्षकी वृद्धिका विधान किया है वहभी ठीक नहीं है । आह महाशय ! बड़ी हुई मैं नालीका जल पाय | . अस्तु । फिर क्यों मुझ अछुतको मुँहमें देते, हो महाराज ! __ यहाँ तकके इस संपूर्ण विवेचन परसे यह बात भले सुनकर उसके बोल हुई हा! मुझको भारी लाज ॥३ प्रकार स्पष्ट हो जाती है कि आज कल जो वीरनिर्वाण स्वानंको बैठा भोजनमें ज्योंही डाला हाथ; संवत् २४५६ प्रचलित और वर्तमान है वही ठीक है ___ त्योंही भोजन बाल उठा चट विकट हँसीकं साथ । नालीका जल हम सबन था किया एक दिन पान; उसमें न तो बैरिष्टर के.पी. जायसवाल जैसे विद्वानोंक अतः नीच हम सभी हुए फिर क्यों खातं श्रीमान?४ कथनानुसार १८ वर्षकी वृद्धि की जानी चाहिए और एक दिवम नभमें अभ्रोंकी देखी खूब जमात; नजार्ल चापेंटियर जैसे विद्वानोंकी धारणानुसार ६०वर्ष जिसमे फड़क उठा हर्पित हो मेरा सारा गात । की अथवा एस.वी. वेंकटेश्वरकी सचनानसार ९० वर्ष में यां गाने लगा कि, आओ अहो ! सुहृद् धनवृन्द, की कमी ही की जानी उचित है । वह अपने स्वरूपमें बरसी, शस्य बढ़ाओ, जिससे हो हमको आनन्द ।।५ वे बोले, ह बन्धु, सभी हम हैं अछूत औ नीच; यथार्थ है । और इस लिये उसके अनुसार महावीरको ___ क्यों कि पनालीके जलकण भी हैं हम सबके बीच। जन्म लिये हुए २५२६वर्ष बीत चुके हैं और इस समय, कहीं अछूतोंमें ही जाकर बरसेंगे जी खोल, गत चैत्र शुक्ला त्रयोदशी से, आपकी वर्षगाँठका ____ उनके शस्य बढ़ेंगे, होगा उनको हर्ष अताल ॥६ २५२७वाँ वर्ष चल रहा है । इत्यलम् । मैं बोला, मैं भूला था, तब नहीं मुझे था ज्ञान; नीच ऊँच भाई भाई हैं भारतकी सन्तान । जुगलकिशोर मुख्तार होगा दोनों बिना न दोनोंका कुछ भी निस्तार; अब न करूँगा उनसे कोई कभी बुरा व्यवहार ।।७ वे बोले यह सुमति आपकी करे हिन्दका त्राण; उनके हिन्दू रहनेमें है भारतका कल्याण । उनका अब न निरादर करना, बननाभ्रात, उदार, भेदभाव मत रखना उनसे करना मनसे प्यार ॥ ८
SR No.538001
Book TitleAnekant 1930 Book 01 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1930
Total Pages660
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size83 MB
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