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________________ फाल्गन, बीरनि०सं०२४५६) व्यक्तित्व ही करता है । विकाशमान व्यक्तित्व को प्रकट करने एक समय दो कुशल गवैय्योंने किसी प्रसिद्धगानवाले कुछ गुण होते हैं और उनका प्रभाव व्यक्तित्वकी मण्डली में किसी पद के वास्ते प्रार्थनापत्र भेजा कमीका सवा योतक है । व्यक्तित्वके प्रभाव को प्रकट उनमें से एक दुर्बल शक्ल-सूरत वाला तथा हाव, भाव करने वाले प्रधान अवगुण हठ, बड़ोंका अनादर,माता से जनाना और प्रभावहीन था । वह व्यक्तित्वहीन था। पिता की उचित तथा हार्दिक इच्छाओं का उलंघन जब वह गान-मच-स्टेज पर भाया तब मालूम हुआ और अहम्मन्यता हैं। अहम्मन्यता आत्मविश्वासके कि उसकी आवाज तो अच्छी है किन्तु उममें कोई सर्वथा विरुद्ध है । व्यक्तित्वयुक्त आदमीके लिए अपने मोहिनी शक्ति और प्रभुत्व नहीं है। परन्तु दूसरे आदमी व्यक्तित्व को दूसरोंको दिखानकी आवश्यकता नहीं है। की आवाज़ और स्वर हलके थे तथा उनमें उतना ग्स जहाँ कहीं यह होता है वहाँ वह स्वयँहीप्रकट हो जाताहै। भी न था, किन्तु वह व्यक्तित्व रखता था । यद्यपि उसके व्यक्तित्व और इसके अनकट प्रभावको सब ही अनुभव शरीर की रचना अच्छी न थी तथापि उसके प्रत्येक कर लेते हैं तथा स्वीकार कर लेते हैं । उसको अधिक कदम और चालमें गम्भीरता,वजन औरमात्माधिकार बोलने अथवा दूसरों पर अपना प्रभाव जमाने तथा अपने था। उसकी दृष्टि पड़ते ही दर्शकगण उसके प्रभावमें मा महत्वको अंकित करनेका प्रयत्न करनेकी कोई भी प्राव- गये और उनको उसके आत्मविश्वासकायोष होगया। श्यकता नहीं है, कारण कि वह अपने प्रभावशाली मौन वह व्यक्तित्वयुक्त आदमी था और उसने वह पद शीग्रही के द्वारा ही वे सब बातें कह देता है जो कि समस्त प्राप्त कर लिया । और सुरीली आवाज वाले परन्तु अवस्थाओं तथा समस्त परिस्थितियों में अपने आपको व्यक्तित्वहीन आदमी को वहाँ से निराश लौटना पड़ा। संतुष्ट और ठीक प्रमाणित करने के वास्ते उसके लिए और इस लिये यह ठीक ही है कि 'त्रुटिपूर्ण व्यक्तित्व आवश्यक हैं। वह अपने कार्य, मार्ग तथा इच्छा की प्रत्येक स्थानमें हानिकारक है। चिन्ता ही नहीं करता, क्योंकि वह स्वयं अपनी इच्छा हम अपने जीवन में प्रतिदिन ही देखते हैं किसमा. का स्वामी और अपने मार्ग का निर्माता है। अपने सुसाइटियोंके प्लेटफार्मों पर एक दुबला पतला और सुख, माराम और सम्भोगों को पूर्णतया भूल कर वह मन्द भावाज वाला व्याख्यान दाता सब मोवानों को अपने स्वभाव तथा प्रकृति से उन भादमियों को सुख अपने वश में करलेता है और खूब जोरसे व्याख्यान और विश्वास तथा शक्ति और वैभव प्रदान करता है देने वालोंको इसमें कोई सफलता प्राप्त नहीं होती। जो कि उसके सम्पर्क में आते हैं। वह अपने बड़ों बहुत से वकीलों की शह देखते ही हाकिम उनके का कितना सादर करता है और कितने प्रेम तथा पूर्णता प्रभाव में पाजाते हैं और उसके पक्ष में फैसला दे देते के साथ वह अपने माता, पिता, मित्रों क्या साथियोंके हैं। परन्तु दूसरे वकील मनुनी पोथियों के हवाले देते सुख और भानन्दके वास्ते अपने भापको निछावर देते तथा चिलाते पिलाते थक जाते हैं किन्तु हाकिम पर करता है, और सब ही भादमी समस्त विभागों में उस उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वे विरुद्ध फैसला की इस महती शक्ति को कितनी शीवा के साथ स्वी- दे देते हैं । प्रत्येक स्थान पर प्रभावशाली तथा व्यति. लायुक्त पुरुषों और वियोंको ही सफलता मिलती है,
SR No.538001
Book TitleAnekant 1930 Book 01 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1930
Total Pages660
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size83 MB
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