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फागण, बोर नि०सं०२४५५)
যকিল
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व्यक्तित्व
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[अनुवादक-श्री० बाबू माईदयालजी जैन बी.ए.]
"टिपूर्ण व्यक्तित्व प्रत्येक स्थान पर हानिकारक होता है।"
-निट। व्यक्तित्वकी शक्ति और महत्ता के विषय में जितना जकड़ दिया जाता है और इस प्रकार के शब्द हर वक्त
भी कहा जाय थोड़ाहै । यह सारीसफलताओं उनसे कहे जाते हैं जिससे उनकी शक्तियोंका पूर्णरूपसे का आधार और सारी सफलताओं की जड़ है। विकास ही ही होने पाता है । इस प्रकारका व्यवहार त्रियों और पुरुषों को आप संसार के किसी भी बचों की पात्माओं के उस भाग को नष्ट करदेता है, क्षेत्र में देखिये, व्यक्तित्व के बिना वे प्रत्येक स्थान में जिसे व्यक्तित्व कहा जा सकता है। जिस प्रकार एक असफल होते हैं, उनकी मनोकामनाएँ पूरी नहीं होती। मूर्ख माली एक पौदे को बार बार काटकर उसे बढ़ने फिर यह कितने माश्चर्य की बात है कि हम अपने व्य- नहीं देता उसी प्रकार यदि दूसरे आदमियों द्वारा बचों क्तित्व को समझने की पर्वाह ही नहीं करते, इस ओर का हर समय विरोध हो और उन्हें अपनी आन्तरिक ध्यान ही नहीं देते । माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा न्याय-बुद्धि को व्यवहारमें लाने तथा विकसित करने पर खूब धन लुटाते हैं, परन्तु क्या उन्होंने कभी इस का अवसर न दिया जाय तो उनके लिये दुर्बल तथा बात को सोचने की चिन्ता भी की कि, जिसे वे लोग परावलम्बीके सिवाय और कुछ बनना असम्भव है। शिक्षा समझते हैं वह वास्तव में क्या वस्तु है ? यदि इस ढंगसे बचोंके प्रारंभिक अधिकारोंकागला घोट दिया जरा भी बाहरी दृष्टि से देखा जाय और कुछ विचार जाता है, कलियोंको खिलनेसे पूर्व ही तोड़ मरोड़ कर किया जाय तो मालूम होगा, कि वषों और नवयुवकों मिट्टीमें मिला दिया जाता है, और पचों का व्यक्तित्व को ऐसी ऐसी बातें रटा देना ही आधुनिक शिक्षा है, त्रुटिपूर्ण और दुर्बल बना दिया जाता है। जिन पक्षों जिनका पादमी के अमली जीवन से या तो बिल्कुल को हौवा' 'भूतप्रेत' और 'बाबाजी' का डर हर घड़ी ही सम्बन्ध नहीं होता अथवा बहुत ही कम सम्बन्ध दिखाया जाता है और जिनके सिर परधमकी और मारका होता है। कभी कभी तो यह भी देखा गया है, कि इस भूत हर समय सवार रहता है, वे क्या शूरवीर बनेंगे? शिक्षा के देते समय बों के व्यक्तित्व के चिन्हों को नयेनये कार्यों में हाथ डालनेका वे क्या साहस करेंगे? ही दवा दिया जाता है और उन्हें कृत्रिम सहायतामों, इस महान पापके लिये क्या बचों के माता पिता सदा परावलम्बनों और निर्बल सहारों के भरोसे से पीछे उत्तरदायी नहीं होते १ निःसन्देह, छोटे छोटे बचों को फेंक दिया जाता है। बों को भारम्भ से ही इस प्रकार प्रभावशाली तथा शकि सम्पन न बना कर प्रारम्भमें