SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५६ . ११ मी जैन श्वेतांवर परिषद्. त्यके प्रचार के लिये श्रीमान गायकवाड़ महाराजने जो प्रयास किया है और कर रहे है उसके लिये यह कान्फ्रेन्स गायकवाड़ सरकारको अन्तःकरणसे धन्यवाद देती है। . इ । बम्बई युनिवर्सिटीमें जैन साहित्यके लिये खास स्कोलरशिप स्व० शेठ अमरचन्द तलकचन्दके तरफसे देना निश्चित हुआ है, उसी प्रकार दूसरी युनिवर्सिटीओंमें भी स्कॉलरशीप देने के लिये जैन श्रीमतोंसे आग्रह करती है । दरखास्त-शेठ कुंवरजी आणन्दजी भावनगर । अनुमोदक-शेठ लक्ष्मीचन्दजी घीआ प्रतापगढ़ । विः ,,-चाबु अचलसिंहजी दिल्ली। • ,, ,,-शेठ वीरजी गंगाजर मुंबई । (८) प्रमुखके तरफसे ) शिलालेखोंका उद्धार । शिलालेखोंके संग्रह करनेकी यह कान्फरन्स अत्यन्त आवश्यकता समझती है; क्योंकि उनसे जैन धर्म के इतिहासको मालूम करनेमें बहुत मदद मिलती है। इस उद्देश्यको कार्यमें लाने के लिये निन्न लिखित कमीटी नियुक्त की जाती है। रा० रा० दोलतचन्द पुरुषोत्तम वरोडिया. बी० ए० । - "सि० डी० दलाल. एम० ए.।" रा० रा० केशवलाल प्रेमचन्द मोदी. वी० ए० एल० एल० बी० वकील रा० रा० मोहनलाल दलीचन्द देसाई. बी० ए० एल० एल०बी० वकील । बाबू उमरावसिंह टांक. बी० ए० एल० एल० बी० वकील चीफ कोर्ट । शेठ डाह्याभाई प्रेमचन्द मोदी। बाबू साहेब पूरणचन्द्रजी नाहर एम० ए० बी० एल० वकील । इस कार्यमें प्रत्येक जैनिओंकी सहायता देनी चाहिये और जहां जहां भण्डार और शिलालेख हों उनकी यादी दिलानी चाहिये. नोंध लेनेवाले पुरुषकी रुकावट नहीं करनेके लिये यह कान्फरन्स आग्रह करती है। . (९) स्त्री शिक्षा. जैन समाजमें सर्वत्र स्त्री शिक्षा प्रचारके लिये यह कान्फ्रेन्स नीचे लिखे उपा. योंका ध्यानमें लेनेका आवश्यकता स्वीकार करती है । १ । प्रत्येक जैन अपनी पुत्रीको कमसे कम प्राथमिक शिक्षा अवश्य दें।
SR No.536514
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1918 Book 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1918
Total Pages186
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy