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સભાપતિ શેઠ ખેતશીભાઈ વ્યાખ્યાન. लिए हमारा लक्ष जाना चाहिए । प्राथमिक पाठशालाएँ, स्कूल या कालेज दूसरी जातियोंसे अलग होकर स्थापन करना मुझे अनावश्यक जान पड़ता हैं । भारतीय अन्य प्रजाके साथ ही मिलकर हमें सार्वजनिक प्राथमिक शालाएँ और स्कूल जगह २ पर स्थापन करना चाहिए । इसके अतिरिक्त हमें अपना खास फंड खोल, उसमें लाखों रुपये जमाकर जैनियोंके साधनहीन लड़कोंको स्कालर्शिप देना चाहिए और उनके विद्यार्थी एक साथ रहकर विद्याभ्यास कर सकें ऐसे विद्यार्थीगृह अथवा बोर्डिंगहाउस स्थापन करने चाहिये । इस समय जितने बोर्डिंग हाउस चल रहे हैं, उन सभीमें तीनों संप्रदायोंके विद्यार्थियोंको रखनेका प्रबंध हो जाना चाहिए । इसी तरह सब बोर्डिगोंकी सुव्यवस्था करनेके लिए एक सुशिक्षित अनुभवी इन्स्पेक्टर भी नियत करना चाहिए । इस सारी व्यवस्थाके लिए लाखोंका फंड करना हमारा प्रथम कर्तव्य है । आज व्यापार करने में भी अंग्रेजी ज्ञानकी आवश्यकता हो गई है, मुसाफिरीमें भी इस भाषाके ज्ञानका होना अत्यंत आवश्यकीय हो गया है, विकालत, नौकरी और राजकीय प्रवृत्तिमें तो इस ज्ञानके विना किसी कामका होना सर्वथा असंभव है । फिर युद्धने जो परिस्थितियाँ उत्पन्न की हैं, उनसे भारतवर्षका सारे संसारके साथ विशेष संबंध होगया है, ओर आगे इससे भी अधिक होगा। इस स्थितिमें मातृभाषाके साथ ही साथ अंग्रेजी भाषाका ज्ञान प्राप्त करना भी लगभग सबके लिये जरूरी है। और इसके अलावा व्यापारिक ज्ञान प्राप्त करनेका प्रश्न फिर जुदा है। व्यापारकी स्पर्धा प्रति दिन बढ़ती जा रही है, जीवनकलह तीव्रतर होता जा रहा है । युद्धने युरोपको जो व्यापारिक हानि पहुँचाई है उसके फायदा उठाकर जापान सारा व्यापार अपने हाथमें लेनेके लिए प्रयत्न करने लग रहा । है; ओर भारत-जिसके यहां सारे प्राकृतिक साधन मौजूद हैं-हाथ पर हाथ रखके बेठा है यदि हम सरकारी मददके अभावकी चिल्लाहट करके ही बैठे रहेंगे तो ऐसा अच्छा सुनहरी अवसर हाथसे खो देंगे, कि जिसका मिलना फिर कष्टसाध्य हो जायगा। इस लिए इस समय जैन जातिको और अन्य दसरी जाति‘योंको भी जाति-भेदों, धर्मपंथों ओर लोकरिवाजोंके झगड़ोंको अलग रखकर अपनेसे बने इतने प्रयत्नके साथ लाखों, करोड़ों रुपये एकत्रित कर व्यापारवृद्धिके कार्यमें अविलंब लग जाना चाहिए । मोफेसर बोसकी महान् योजना सचमुच ही देशको आशीर्वाद रूप होगी; टाटाका लोहेका कारखाना और बैंकका