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________________ ८४] જૈન કેન્ફરન્સ હેરલ્ડ. [ भार्थ के स्वार्थकी वात नहींथी केवल ब जुबान पशुओंपर दया करके उनके दिलकी दुआ लेना और अपनी करोडों भारत प्रजाको प्रसन्न करनाथा अव श्रीमान सम्राट पंचम जार्जभी वैसेही दयालु दीन बंधु दीनानाथ और क्षमाशील हैं और भारतवासियोंके सौभाग्यसे जानेवारी सन १९१२ की किसी तारीखको दिलीमें पधारकर भारत साम्नाज्यका राजमुकुट धारण करने वाल हैं जब तक आपकी सवाम नियम पूर्वक इस प्रार्थनाके पहुंचनेपर आशा है कि जीवहिंसा में कुल कमी हो हम चाहतहा क्या हैं ३६५ में से केवल ३० ही दिन जीवहिंसा नहीं होनेके वास्त मांगते हैं जिनमें ८ दिनतो बहुतही जरूरी हैं और ये ८ दिन ऐसे पुनीत हैं कि इंगलिश स्थानकी प्रजाभी अपने सम्राट और राजपरिवारके कल्याण के वास्ते उसमें कभी कुचा आगा पीछा नहीं करेगी और ईसाई धर्मके पादरीभी उसको पसंद करेंगे क्यों कि उनके धर्म और महात्माई सामसीह के उपदेशों में दयाका अंश अति अधिक हैं। वे ८ दिन ये हैं। (१) श्रीमती विक्टोरियाके भारतेश्वरी होनेका शुभ दिन. १ (२) श्रीमान् सप्तम एडवर्डके जन्म और निर्वाणके दिन २ . (३) श्रीमती राजमाता अलकजेंद्राका जन्म दिन १ (४) श्रीमान समाट पंचम ज्यार्जके जन्म और राजमुकुट धारणके दिन २ (५) श्रीमती महारानी मेरीका जन्म दिन १ (६) श्रीयुत प्रिन्स ऑफ वेल्सका जन्म दिन १ इनके सिवाय २२ दिनकी औरभी प्रार्थना ऊपर लिखे अनुसार है। देवीप्रसाद जोधपुर.
SR No.536507
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1911 Book 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1911
Total Pages412
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size9 MB
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