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जीवहिंसाकी कमीका १ उपाय.
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(७) श्रीमती भारतेश्वरी विकटोरिया राजरानी के स्वर्गारोहनका दिन (८) श्रीमान सप्तम एडवर्ड भारतसम्राटके राज मुकुट धारणका दिन.।
इनके सिवाय प्रजाके धर्म संबंधी दिनोंमें के कमसे कम २२ दिनोंकी औरभी प्रार्थना कीथी जिनका ठहराव हिंदु, मुसलमान, ईसाई, जैनी, बौध, सिक्ख और पारसी वगेग हिंदुस्तानी मतालंबियोंकी सम्मतीपर छोडाथा और इन दिनों में शिकार कीमी माफी चाहीथी और यह अपने या और किसी अपने सजाति मनुष्य मात्रके स्वार्थका काम नहींथा जो स्वीकार होजाता या अब हो जाय तो सालभर में यौं यह १ महीनाभी इन गरीब बे जुबान चाकरी करने वाले और जगत्को लाभ पहुंचाने वाले पशुओंके जीवदानका हेतु होकर इस लोक
और परलोकमें श्रीमानोंके पुण्य, कीर्ति, जय, यश, राज्य, और ऐश्वर्यकी विशेष वृद्धिका कारण हो।
जवतो उस नकार खानमें किसीन यह तूतीकी आवाज नहीं सुनी केवल कई उर्दू पत्रोंने कुछ अनुमोदन कियाथा परन्तु जो यह विशेष पुण्य और जीवा के कल्याणका काम है और जैन धर्म इसी पुनीत कोमके वास्ते ठटमें खडा हुअ है इस लिये मैं यह उचित समकता हूं कि जो जैन सभायें इस प्रश्नको उठावें और अपने समाचार प्रत्रोंम इसका आन दोलन करें और शिष्ट अंग्रेजी पत्रोंमें भी इस विषयके अच्छे २ लेख छपाकर इंगलिश पबलिक तक बात पहुंचावें और फिर इस धर्मके नता और मुखियाभी गवर्नमेंट के अफसरोंसे कहा सुनी करें तो आशा है कि थोडा बहुत कुछ हो रहे साहस और परिश्रम करना चाहिय हमको अपने दिलमें यह भी दृढ विश्वास है कि जनी सज्जनों को इस पुण्य कार्यमें लगा हुआ देखकर बहुतस हिंदु और कुछ सज्जन मुसलमान और पारसी भाईभी उनक सहमत और सहायक हो जायेंगे।
दयालु सम्राट सप्तम एडवर्डका समय इस पुण्य कार्यके वास्ते बहुत अच्छा था जब श्रीमान अमीर काबुलने भारतकी यात्रा में हिंदुओंकी खातिरसे ईदक दिन दिल्लीमें गौहत्या बंद रखादीथी तो क्या दयालु सम्राटकी सेवामें नियम पूर्वक प्रार्थना पत्र पहुंचने पर कुछ फल नहीं होता जरूर होता क्योंकि यह किसी