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________________ १९११] [२७९ खूब अच्छी तरह से अन्दोलन कर रहे हैं, जिसका नतीजा वह थोडे दिनों में ही निकलेगा जो इस लखनीसे नही लिखा जा सक्ता हैं । जीवदया जैन सीरांझ. (३) इंग्लैण्डकी सेल्वेशन आर्मी (Salvation army ) तमाम आला आफसरान फलाहारी ह । यानी मांस बिल्कुल नहीं खाते हैं। फल सब्जी वगैरहका आहार करते हैं । और वहांके शराबियोंका इलाज कंवल इस “ फलाहार के खानेका नियम ” (Vegetable diet-cure ) रखाने से ही किया जाता है । महाशयो ! अब आप देखें कि हमारे पश्चिमी विद्वानोके तो एसे २ उत्कृष्ट विचार और काम हो रहे हैं। जिनकी प्रशंसा इस लेखनीसे नहीं की जा सक्ती है परन्तु हमारे बहुतसे भारत निवासी दिन पर दिन मांस भक्षी बनते जा रहे है और निर्दय कठोर हृदयी बन रहे हैं । इसलिये अब - हे भारत बासियो ! मांस भक्षणसे मुख मोड़ो । और उन निरपराधी मूंक अनाथ पशु पक्षियोंकी ओर अपने कर्तव्यका पालन करो। दया भाव धारो, जैसी अपनी जान तुमको प्यारी हैं, उसी तरह उन सबको भी अपनी २ जान प्यारी है । पस हम अब पूर्ण आशा करते हैं कि हमारे अहिंसा धर्मके प्रेमी इसके ऊपर अवश्य ध्यान देंगे, और अपना शुद्ध शाक, नाज, फलादिकका आहार ग्रहण कर शरीरको निरोग और तन्दुरस्त बनायेंगे । और बहुत से बीमारियोंसे बचे रहेगें। और अपनी गाढी कमाई के पैसे को भी फजुल खर्चीसे बचा सकेगे || पीरोजपुर छावनी ता० १-७-११ } भवदीय कृपाकांक्षी :उडेसर (मैनपुरी) निवासी, अमोलकचन्द्र जैन, કેન્ફરન્સ હેરલ્ડના સુજ્ઞ ગ્રાહકાને વિજ્ઞપ્તિ. આ ચાલુ સને ૧૯૧૧ ની સાલના કાષ્ટ જણાવશે. જો સીલીકમાં તે અંક હશે તે તુ અંક ન મળ્યા હોય તે। પત્ર લખી મેકલવામાં આવશે.
SR No.536507
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1911 Book 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1911
Total Pages412
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size9 MB
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