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निवेदन पत्रिका
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॥ दोहा. ॥ नामवरीके कारणे ज्यो धन खर्च मुढ मरके हाती होयगें धरति लटके सूंढ.
प्रार्थना.
परोपकारणी मातेश्वरी श्री जैन श्वेताम्बर कोन्फरन्सके हैरल्डमें ज्यो बिज मिन्त्र सचा सो मेरा प्रोविनन्सयल सेक्रेटरी साहाबने दीया वो मन्त्र को सिद्ध करें तो फलकि प्राप्तिका क्या वर्नन ॥ में दुष्ट भंग अब दुवार प्रतिज्ञापलेके मोफीककी-में अल्प मति वालक हुं गलती हो वो क्षमा करें. संवत १९६७ चेत्र कृष्ण ७ बुद्ध ता. २२ मार्च सन १९११.
श्री संघका सेवक. सालगीयां काकावारा चम्पालालजी तस्यात्मज चोखचन्द.
देवगढ राजपूताना (मालवा ) कांठल.
नोट-एक कविका वाक्य.
धरी देह देश स्वजातनी, जेणे दाझ जेणे नव धरी. . घिक जन्म ते धनवाननो, जननी व्रथा भारे मरी.