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________________ ૧૯૯૮] જેન યંગમેન્સ એસેસિએશનકા દશવા વાર્ષિક અધિવેશન, [૫ शेठी बी. ए. के मंगलाचरणसे प्रारंभ हुइथी. लालाबद्रीदासजी रईस मेरट प्रेसीडेन्ट रिसेपशन कमेठीने उपस्थित बहारसे आये महाशयोंका स्वागत करते बाबू रिखवदासजी बी. ए. वाईसप्रेसीडेन्टे रिशेपशन कमेटीको स्वागतकारणी कमेटीका आयड्स पढनेकी प्रेरना की. उन्होंने एक प्रभावशाली आयड्रेस पढा. जिसमें एसोसिएशनके कामोंको दिखाते हुए जैन शास्त्रोंको छपाकर उनको प्रकाशित करनेकी . आवश्यकता दिखलाई और उसपर जोर दिया. . ____ तत्पश्चात बाबुबाकेराय बी. ए. एल एल. बी. वकील हिसार सभापति नियत हुए उन्होनें बहुत ही उतम व्याख्यान जैन जातिकी आवश्यकताओं पर और उनके (जैन) धर्मपर दिया उसमें भली भांति दर्शाया कि.जैन जातिमें स्त्रीशिक्षा फैलानेकी तीनों सम्प्रदायका मिलकर काम करने और मुहमदन कालेजके अनुसार कालेज बनाना और यतीम और विधवाओको मदत देनेके लिये यत्नय करना और जैन ग्रंथोको छपवा. कर प्रसिद्ध करना आपसमें मौत्रिक भाव बढाना जैनमतका प्रचार और एसोसिएशनके लिये एक हिन्दी पत्रका होना आत आवश्यक है उन्होने इस बातकों कि जैन शास्त्र छपनेपर बोहोत लाभ होगा बडे मनोहर और गर्भित उदाहरण और नये-प्रमाणोंसे अपने व्याख्यानमें साबित किया. इन सब विषयोमें कालिज सम्बन्धी छोड बाकीके प्रस्ताव पास किये गये एक हिन्दी पत्र बाबु सरजुभान वकील सा. देवन्दकी सम्पादकीमें शीघ्र निकालना निश्चय हुआ. स्थानकवासी श्वेताम्वरी कोन्फरन्सको धन्यवाद दिया गया कि वे आपसके झगडे एक कमेटीद्वारा निबटाना स्वीकार करते है और दिगम्बरी महासभाको फिर लिखा जायगा कि वह भी एसोसिएशनकी इस प्रार्थनाको स्वीकार करे. मेरठ के डिस्ट्रीक बोडसे यत्न करके मुआने श्री हस्तीना पूर तक सडक बनाने और मेरठमें एक जैन बोर्डिंग हाउ होनेके प्रस्ताव पास हुआ. भारतवर्षफे वाईसरायको इस बातका तार भेजा कि जैन जाति अंग्रेजी सरकारकी बडी आज्ञापालक और कृतज्ञ प्रजा है.... ___अधिकतर समय जैनमत सम्बन्धी लेकचर देने में खर्च किया गया अन्यमती महाशयभी बुलाये गयेथे बाबु अर्जुनलाल सेठी बी. ए. जैपुरवालोंको जैनमतपर और सूरजभान वकील देवन्दका कर्मफिलासफीपर और बाबु अजीतप्रसाद एम० ए० लखनउका जैनमतकी उत्तमता पर अति ललित और प्रभावशाली व्याख्यान हुए एक लडके सुखवीरप्रसाद सुपुत्र लाला द्वारकाप्रसाद तहसीलदार इटावाकी और एक लडकी सरधनेकी चन्द्रवतीका स्त्री शिक्षापर व्याख्यान अत्यन्त मनोज्ञ थे उन्होंने सर्व
SR No.536505
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1909 Book 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1909
Total Pages438
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size11 MB
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