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________________ ४४) ३२.स २६ (३शुपारी · भाषन-अजमेरनिवासी धनराज कांसाटयाने मारवाडके सुधारेके लिये कुच्छ समय पर्यन्त दिया पश्चात हीरालाल जी सुराना सोजतवाले मारवाडके मन्दिरोंकी आशातना दूर करने तथा हानिकारक रिवाजोंको मिटाने तथा सुकृत भंडारवृद्धि, विद्या कृद्धि इत्यादि विषयोंपर रसभर जबानसे छटादार भाषण देके श्रोतागणोंके चितको उस ओर आकृषित किया. पश्चात भंडारी धनपतचन्दजी साहिबने मुडवाडा तीर्थस्थलकी उन्नति तथा जात्रुओंके ठहरने वास्ते धर्मशालाकी आवश्यक्ता होना प्रगट किया साथ कोठडी धनीराव बनानेकी तजविज हुईथा इसके सिवाय १ कोठडी प्रमुख साहिबने करीब १५० रुपेकी और १ कोठडी शेठ कस्तुरमलजी सा० ने करीब १२५ रु. की बनवाना स्वीकार किया इस लिये इन साहिबोंकों हम अन्तःकरणपूर्वक धन्यवाद देते है. ___ इस सुअवसरपर श्रीवरकाना तीर्थस्थानके कारखानेका हिसाब चोपडे किताबें आदि मैनेजर बोहरा छोटमलजी लायेथे वो पेश किये गये और उनके मुलाहिजेसे हिसाब ठीक २ पाया गया और सभापति साहिबने अपने हस्ताक्षरसे चोपडोमें लिखा दिया बाद सभा जै जिनेंद्रकी ध्वनीके साथ विसर्जन हुई. रथयात्राका जल्सा अत्यन्त आनन्द के साथ सजाया गया. हाथीपर श्री भगवान महाराजको विराजमान किये. दोनों और से चंवर उड रहेथे और सदर यात्रा के निधरावल आदिमें २००) रु. के आसरे मंडारमें जमा हुए इस लिये प्रार्थीहूं के इसी तरह सदा सर्वदा तीर्थस्थलोंपर मेलेके समय प्रांतिक कान्फरन्स होती रहेगी तो आशा है कि अवश्य सुधारा होगा और हमारे अन्य प्रांतिक भाईयोको उचित है कि वे इस और अवश्य ध्यान देकर अपने प्रांतके. सुधारेके लिये उपाय करें इति शुभम. श्री संघका दास.. धनराज कांसटिया. _____ अजमेर. जैन यंगमेन्स एसोसिएशन आफ इन्डियाका दशवा वार्षिक अधिवेशन. विज्ञापनके अनुसार यह अधिवेशन मेरठमें ता. २८ तथा २९ तथा ३० दो पहरको और रात्रोके समय बड़े आनन्दके साथ हुआ. एसोशिएशनके भेम्बर और अन्य महाशयाने दर २ से आकर सभाको सुशोभित कियाथा मंडप कुर्सी फर्श और नाना प्रकारकी झंडी आदिसे बहार अभ्यंत भले प्रकार सजाथा काररवाई बाबु अर्जुनलालजी
SR No.536505
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1909 Book 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1909
Total Pages438
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size11 MB
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