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________________ २० જૈન કોન્ફરન્સ હેરલ્ડ. [ न्युमारी. सर मुदी १२-१३ को वर्ष गांठका मेला हुवा जिस्मे करीव ४००० जात्री इकठे हुये मंदिरमे उपज यानी आमदनी रुपया ९०० के करीब हुइ सुप्रसिद्ध मुनि मोहनलालजी महाराज के शिष्य श्री कांतिमुनिजी महाराज व राजमुनिजी महाराज ४ ठाणे इस उत्सव पर वहां पधारे ओर धर्मोपदेश हुवा इन मुनिराजो के विचरनेसे मारवाड के कई ग्रामों में बहुत लाभ पहुंचा सोजत प्रगने के गांव बासना, जिस्मे मंदिर बनाहुवा है वहां के श्रावकोकी जवानी जबमे मुरडावे मेळे के उत्सव पर गया तब मालुम हुवाकि सिर्फ प्रातमाजी बिराजमान करनेमे करीब १००) रुपयेका खर्च है सो मेरी गयमे इस्मे कोन्फरन्स मदद देवे तो श्री प्रतिमाजी महाराज बिराजमान होकर आसातना मिटे कये कि वहांके श्रावक अव रुपया लगानेमे असमर्थहै गांव द्याकडी प्रगने सोजत के ओसवाल भाइयो से मुरडाव मिला वहांपर भी मंदिर बना हुवाहै प्रतिष्टा कइ कारणोसे नहीं हुई इस्के वास्ते उनको ताकीद की गई तो उन्होने आषाड महीने पहले प्रतिष्टा करदेनेका भंडारी चनण चंदजी के रुवरु इकरार किया. मो. हीरालालजी सुराणाका प्रवास. गाव चंडावळ प्रगने सोजतके पंचोखेभी श्रीमान मुनि महारानकी सहायतासे मंदिरकी प्रतिष्टाका मोहरत दिखलाकर प्रतिष्टा करवा देने का इकरार कराया गया. ___इन्सपेक्तर हीरालालजीका मये मातहत अहल्कारों के डायरेक्तरीका कामवास्ते जालोर इलाके मारवाडमें जाना हुवा यहांपर उन्होंने डायरेकरी करने पश्चात् तारीख ३ डिसम्बर सन हालको श्रावक समुदायको इकट्ठे कर सभा की जिस्मे विद्योन्नति, ऐक्यता, व बाल वृद्ध लग्न निषेध वगैरह विषय पर भाषण दिया सभामे हाकिम साहब जालोर सहित अनुमान ७०० मनुष्य उपस्थित हुवे थे, जिन्में कई अन्य धर्मावलम्बी महाशयगण भी थे, हाकिम साहब जालोर अन्य धर्म होनेपरभी ऐसे उत्तम कामोकी लागणी करते है बाद भाषणकी कार्यवाही होने के उक्त इन्सपेक्तर महाशयने जालोरके श्री संघको कानफ्रेन्सकी तरफसे सभा मुकर्रर करनेकी प्रार्थना की जिस्को जालोरके श्री संधने कृपा करके स्वीकारी और ( श्री जैन श्वेताम्बर सुधर्मोपदेशदायी सभा जालोर ) इस नामसे स्थापित की इस कार्यमें महता कुशळराजजी जोधपुर निवासीने जो धर्मके उद्योगी है पुरी २ कोशीशकी सभाके कार्य कर्त्ता नीचे लखे माफिक महाशय चुने गये, श्रीयुत रामदेव अचलदासजी हाकिम साहब जालोर पेट्टन श्रीयुत कांकरियां रिववदासजी सभापति, सोलंकी पृथिराजनी उपस
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
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