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________________ १८०७ ] મેવાડકી સ્થિતિ, ૧૯ मेरी निगाहमे आदमि अछा ओर खंतिला नजर आया तो इस परगनेकी डिरेक्तरी के वास्ते ऊनोको समझा बुझाकर बडनगर इन्दोर धार रूनीजा चारो ईलाके के गामोकी डिरेतरी इनके सुपर्द करी ईनोने ईस कुल काममे रु. २०) का फायदा अपनी तर्फसे चाहि तो अपने घरमे रु. १५०) का फायदा होते दसवीस रुपये लगे तो ठीक समझकर मंजूरी ओर रु. १०) रोकडे भी दिये वहाके पंचोको सामलातसे अपनेको ईन ६० गामोका डिरे ३ महीने लगते जिस्मे रु. १००) तो ताके किराया वगेरा खर्च ५०) रुपे जुमला रु. १५०) निश्रय लगते सो कायदा होगया ओर हमे ३ महीनेमे करपाते ओर वो १ महीनेमे तयार करकै भेजदेगा. लक्ष्मीचंदजी घीया. मुनि विहारफल. मुनि महाराज श्री मोहनलालजो के शिष्य राजमुनिजी, रत्नमुनिजी, लब्धिमुनिजी, नमानगर (व्यावर ) से विहार करके मारवाड देखने नीवाज नामी ग्राममे आये वहांपर श्री पार्श्वनाथ स्वामी की प्रतिमाजी ५० वर्ष से दुकानोंमे रखे हये थे अपुज रहेते थे सो - उपदेश देकर मंदिरजो मे पराइ और पुजा शुरू कराई वहांसे विहार करके जेतारण गये वहां पेगच्छके उपाश्रयमे २ प्रतिमाजोथो और २ दादाजीके देरासर मे विराजमान करा पूजाका प्रबंध करा दिया वहांसे बीजाडे होकर भावी गये वहां पर ढुंढक लोग देरासर उतरते थे जिसबारेमे महाजन लोगोको कहण करी तो ढुंढको के श्रावकोने देरासर मे किसीको नहीं उतरने बाबत कवल किया वहांसे नागोर गये और नागोर के पास रोहणी गाम है वहां के लोगोको उपदेश दिया सो श्री सिद्धाचलजीको जात्रा कोइ जोने जात्राकी ओर सं. १९६३ मे चतुमासा कुचेरामे किया वहां पर कालुराम आसकरण नहार अच्छा सदगृहस्थ है और बडे छोटे २५ लोग लुगाइयोका समुदाय था जो सडक मत मेथे सो ढूंढ मत छोडकर जैन धर्म स्वीकार किया प्रसणजी में प्रभावना करी पुजा देरासरजी से करवाई और कार्तिक वदि ६ का स्वामिवत्सल करा कुचेरासे विहार करके खजवाण आये वहां भी जेठ मळजी चोरडियाको ढुंढक मत छोडकर जैन धर्म स्वीकार क राया ओर ८ नत्र जणीको मुहपति तोडाकर श्रावीका करी मारवाड प्रगने सोजत स्टेशन चंडावल से एक माइल गांव मुरडावमे भगवत पार्श्वनाथ स्वामीका मंदिर हे जहां गइ साल मंदिरका जीर्णोद्वार होकर प्रतिष्ठा हुई उसी मिती मग
SR No.536503
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1907 Book 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1907
Total Pages428
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size12 MB
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