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________________ १९०६] . मि. ढढाका प्रयास. २ डांबर कलां. समस्त पञ्च सरावगी मोजे डावर कलां तहसील टोडारायसिंघ निजामत मालपुराके में इकठे होकर नाजिमजी साहब श्री गुलाबचंदजी ढढाके रोबरू धर्मोपदेश सुन कर यह ठहराव किया कि जो दस्तूर पञ्चायतिके दीलसे लगता चला आता है वह दस्तुर तो बराबर पञ्च लेते रहेंगे बाकी लडकी की सगाई या व्याहके वक्त कोडा एकभी लेवेंगे नहीं. कने होगा जिस मुबाफिक कम जियादा काम किरावर करके बेटीका व्याह कर देवेंगा. अगर इस ठहराव के खिलाफ किसीका छाने या चोडे बेटीके रुपये लेना साबित हो जानेगा तो वह शख्स जब तक लिये हुवे रुपये श्री चंद्रा प्रभूजी के नहीं चढा देगा उस वक्त तक जात बाहिर रहेगा. यह हमने अपनी राजीखुशीसे किया, जिसकी. पावदि रेखग. मिति कार्तिक वदि १० सम्बत १९६२ मुताविक तारीख २३ अक्टोवर १९०५ ई. दस्तखत कनैलालका. दस्तखतः-गोरूलाल, चुनिलाल पटवारी, छगनलाल, विशनलाल, लखमी. चंद, छीतरमल, जवाहरमल, हजारीलाल, लखमीचंद, विशनलाल, मुशरफ, छोगालाल.. ३पनवाड. आज मिति कार्तिक वदि ११ मंगलवार सम्वत १९६२ मुताविक तारीख १४ अक्टोबर सन १९०५ ई. समस्त पंच सरावगीयान, व औसवालान, व महेश्वरीयान, व बीजा बरजीयान, कस्बा पनवाड तहसील टोडा रायसिंघ निजामतं मालपुरा राज्य सवाई जयपुर। मंदिरश्री पार्श्वनाथजीमें एकठे होकर यह ठहराव किया कि लडकी के व्याह के वख्त या सगाई के वक्त जो पंचायति नेग कदीमसे लगाता हुवा चला आता है. वह तो पंचोके रोबरू लिया जावेगा बाकी लडकी के निमित लोभ लालचसे आजकाल जो नया रिवाज लडकी के रुपये लेनेका थोडे दिनोंसे जारी हो गया है. उसको महापापका कारण समझ कर बुरा समझ कर हम लोग श्रीजीके मन्दिरमें बैठकर छोडते हें और ईश्वरका हाजिर नाजिर समझ कर प्रतिज्ञा करते हैं कि हमारी पंचायतिमें कोई भाई इस तरहसे पंचायति नेगोंके सिवाय कन्याके निमित्त कोई पैसा नहीं लेगा, अगर किसीका अणसमझीसे पैसा लेना छाने या चोडे साबित हो जावेगा तो जब तक वह शख्स लिया हुवा रुपयाश्रीजीके मन्दिर न चढा देवेगा उस वक्त तक वह शख्स पंचायति बाहिर रहेगा. अगर किसी भाईकी सरधा किरावर करने की न हो तो वह न करे हम लोग उसको बुरा नहीं । कहेंगे बलकि अपने घरकी रोटी खाकर उस भाई के सब काममें मोजूद रह कर मदद देवेंगे यह ठहराव हमने अपनी राजी खुशीसे किया जिसके पावंद रहेंगे, और एक नकल इसकी पंचायति मदिरमें सनदन रहेगी और एक नक्कल सबके दस्तखति नजिमजी साहब गुलाब
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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