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________________ अन कॉन्फरन्स हरल्ड. मिस्टर ढहाका प्रयास. मिस्टर ढढानें ग्रेज्यूरेट्स एसोसिएशनके नियमानुसार कोनफरन्स के प्रस्तावोंको अमलमें लानेकी गरजसे जगह जगह सभायें इकट्ठी करके भाषण देकर कन्या विक्रय छुडाकर जो जो ठहराव औसवाल, सरावगी, अगरवाले वगरह कोमोंसे कराये हैं वहनीचे मुजिबहें: १ टोरडी. __समस्त पञ्च महाजन जैनी वैश्नव कस्वा टोरडी तहसील व निजामत मालपुराने मन्दिर श्रीजीमें इकठा होकर आजकल जो कन्याका दाम लेकर किसी जगह व्याह करनेका रिवाज होगया है उसपर विचार किया और जैन और वैश्नव धर्मशास्त्रके मुवाफिक कन्याका द्रव्य लेनेमें घोरान घोर पाप समझा इस लिये आजसेही हम कुल पञ्च महाजन 'श्रीजीके सामने प्रतिज्ञा करते हैं कि हमारे १०० घर हैं उनमेंसे कोईभी महाजन बच्चा, गरीब हो या अमीर हो मर्द हो या औरत हो, कन्याका द्रव्य नहीं लेगा अगर कन्याका द्रव्य लेना गुप्ताउ या चोडे साबीत होजावे तो द्रव्य लेनेवाला जति पञ्चायति व्योहार नोता लावणेसे खारिज रहेगा-अगरवालों में रु. ३१) और ५१) परमपरासे नेगोंके लगते हैं और सराबकी, महेश्वरी और बीजाबरजीयोंके जो दाम नेगोंके कदीमसे लगते ह वह तो अपनी अपनी पञ्यायतिके रोबरू लेवेंगे बाकी कन्याके निमित छाने या चोडे कुछ नहीं लिया जावेगा अगर कोई मन बिगाड कर लेवेगा तो उसको जात बाहिर कर दिया जावेगा वह श्री परमेश्वरसे बेमुख होगा अगर कोई भाई गरीबीकी वजहसे 'नुकता आरा कुछ कम करेगा तो उसकी निन्दा जात विरादरीवाले नहीं करेंगे और सब भाई आगे होकर पञ्च, पटैल, चोघरी सब मिलकर राजीखुशी व्याह व नुकतावालेका काम सिरै पार उतार देवेंगे-यह ठहराव हमने हमारी राजीखुशीसे सबने मिलकर परमेश्वरको हाजिर नाजिर समझ कर श्री नाजिमजी साहब श्री गुलाबचंदजी ढहा एम. ए. मालपुरके समझानेसे उनके रोबरू किया सो कुबूल और मंजूर है. इससे हम और हमारे जाये जामते फिरें फिरावें नहीं फिरें फिरावें तो धर्मसे और बच्चोंसे झूटे होवें, इस लेखको सबनें दस्तखत करके नाजिमजी साहबके सिपुर्द करदिया कि इसको महासभाके पत्रमें छपाकर प्रसिद्ध कर देवें और एक नकल इसकी पञ्चायति मन्दिरके भंडारमें रखी जावे मिति कार्तिक वुदि ७ शुक्रवार सम्बत १९६२ मुताविक तारीख २० अक्टोबर सन १९०५ ई. दस्तखत समस्त पञ्च महाजनोंके बकलम रामनाथके दस्तखत रामकुंवार कामदार साविकके कहे सारे भाईयोंके किये-. दस्तखतः--छगनलाल, फूंदालाल, गोरीलाल, रामप्रताप, शोबद्रय, गणेशलाल. रोडूलाल, गंगाधर, गणेशलाल, जसुलाल, मागीलाल, बखतावरलाल, रोडूलाल, गोवर्धन.
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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