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________________ १९०६] श्रीसंघको प्रार्थना ७ इस कार्य के पश्चात् बाबू चेतनदासने एक ट्रेक्ट कमेटी कायम किए जानेका प्रस्ताव पेश किया. बाबू बाबूलाल साहिब मुरादाबाद निवासीने इनका समर्थन किया. उसमें सभापति लालाजीयाराम एम. ए. नियत किए गये और ११ मेम्बरोंकी कमेटी नियतकी गई. ८ बाबू अजितप्रशादने प्रस्ताव किया कि मुख्तलिक सुवेजात हिन्दकी विश्वविद्यालयों को तहरीक दीजावे कि उनके मुख्तलिक इमतिहानोंमें जैन पुस्तकें और शास्त्र शामिल किए जावे अर्थात् अंग्रेजी के साथ २ संस्कृत की जैन मतकी किताबें अवश्य शामिल कीजावे. ___९ मि० लठे मुम्बईनिवासीने इनका समर्थन किया, और प्रस्तावपास किया गया और एसोसिएशनकी तरफसे कोशिश किया जाना तैं पायाः १० सेठ हीराचन्दजी नेमीचन्दजी सोलापूरवालोंने प्रस्ताव किया कि जेलमें जैनियोंकी संख्या अलग नहीं की जाती अर्थात् एडमिनिस्ट्रेशन रिपोर्ट में जैनी और बोद्ध सब एक खातेमें लिखे जाते हैं इससे जैनियोंकी गणना बहुत मालुम होती है. इस कारण एसोसिएशनको इसकी कोशिश करना चाहिए की जैनियोंकी गणना अलगही लिखी जावे सरकारसे दर्खास्त करनेपरही यह काम होसकेगा. __ ११ बाबू सुलतानसिंह मेरठवालोंने इसका समर्थन किया और यह निश्चित हुवे कि सभापति साहबकी औरसे गवर्नमेंट के जनरल सेक्रेटरी से इस विषयमें लिखत पढत होगी. १२ बाबू अजित प्रशादने प्रस्ताव पेश किया कि हमारे शाहनशाह हिन्दके शहाजादे जो आजकाल हिंदुस्तानकी यात्रा कर रहे हैं उनकी खितमतमें महासभाको औरसे मुबारिकबादिका तार दिया जावे. बाबू चेतनदासने इसका समर्थन किया और प्रस्तावपास किया गया __४॥ बजे जल्सा पूर्ण हुवा इस प्रकार जैन यङ्ग मैन्स एसोसिएशनका वार्षिक अधिवेशन समाप्त हुवा. श्री संघको प्रार्थना. श्री परम पूज्य श्री १००८ श्रीसकल चतुरविध श्रीसंघ समस्त भारतखंडवासी की सेवामें प्रफुलितगात्र होकर प्रगट करता हूं की ईस सेवकका प्रस्थान डग (राज झालरा पाटन मुलक मालवा) में है. यहांपर मंदीर २ है जिसमें मंदीर प्रथममें श्री आदेश्वर भगबान विराजमान है और मंदिर दुसरेमें श्री पदम प्रभुजी विराजमान है, और यहांपर कुलवस्ती ओसवाल श्रावकों की १०० धर के अंदाज है जीसमें मंदिर मार्गीआमनाके कूल घर ३१ के अंदाज है जीस में खासकर दोनों मंदीरोंकी देखरेख व पूजा प्रक्षाल सेठजी गणसदासजी नेमीचन्दजी ढवा मालीक मिलापचंदजी व मोतीलालजी जमनालाल
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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