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________________ १९०६ ] कार्यवाही जैन यङ्ग मैम्स एसोसिशन आफ इंडिया. २ बाबू मानकचन्द मनेजर जैन गज्ट इंग्रेजीने सेठ साहबके सभापति नियत किएजाने का प्रस्ताव पेश किया. बाबू चेतनदास बी. ए. ने उनका समर्थन किया. सभापति साहबने प्रेसीडेंशीयल एड्रेस पढा. आशय यह था. मैं अंग्रेजी बिलकुल नहीं जानता हूं और एसोशिएशनके मेम्बर्स अधिकांश अंग्रेजीसे अविज्ञ नहीं इस कारण अंग्रेजीसे अविज्ञ को सभापति का आसन मिलना अधिक गौरवता है. इस एसोसिएशननें जो अबतक कार्य किए है प्रशंसनीय है . इंग्रेजी शिक्षितोपर जो धार्मिक शिक्षा न पाने का आक्षेप किया जाता है वह अब दूर होजावेगा एसोसिएशनको चाहिए के इंग्रेजी शिक्षाके साथ धार्मिक शिक्षाकाभी प्रबन्ध करे. श्वेताम्बर और दिगम्बर जैनियों के मेल बढनेका उपाय सोचना और उनको क्रिया द्वारा पालन करना इसका मुख्य उद्देश है इसका प्रस्ताव महा सभामेंभी किया जाना अयोग्य नहीं. जैनग्रंथों का विश्वविद्यालयोंमें दाखिल किएजानेका आन्दोलन हो रहा है. एसोसिएशन की इस विषयपर जार देना चाहिए. इससे सहसा जैन धर्मका प्रचार होसक्ता है. जैन ग्रंथोंका तर्जुमा अंग्रेजीमें किए जानेका प्रबन्ध और वैजिटेरियन किताबों का हिंदीमें अनुवाद होने का प्रबन्ध एसोसिएशनको करना चाहिए. काठियावाड में जैनधर्मका प्रचार कम है इस कमी के पूरा करनेका खयाल भी एसो सिएशनको चाहिए. ( २० मिनिट ). ३ तत्पश्चात् बाबू चेतनदास सेक्रेटरीने सालियाना रिपोर्ट पढी ( ३२ मिनीट ) - ४ बाबू जुगलकिशोरने धर्मशिक्षापर व्याख्यान दिया. ( २८ मिनीट. ) ५ बाबू जुगलकिशोर का समर्थन मिष्टर जैन वैद्यने उत्तम प्रकारसे किया (१३ मिनीट.) -६ बाबू चेतनदास सेक्रेटरीने मेडल्स ( Medals ) जिन २ महाशयोंने जिस २ हेतु दिएथे प्रदान किए. और इसके उपरांत आगामी वर्षमें जिन २ को इनाम व मैडल्स प्रदान करनाथी अपना अभिप्राय प्रगट किया इन सबमें अत्यंत प्रशंसनीय १००, रु. मासिककी छात्रवृत्ति तीन वर्षके लिएथी जो बाबू फूलसिंह रईस ( Excutive Engineer ने जापान जाकर विद्या सीखनेवालेको प्रदान कीथी कि जिसके लिए बाबू मानकचन्द खंडवा विषासीने जापान जाकर विद्या सीखना स्वीकार किया और इस उत्तम कार्यपर मि. जैन बैद्यने सभामें प्रस्तात्रकर सर्व सम्मतिमें बाबू फूलसिंह को "जैनभूषण" का पद प्रदान किया. ७ बाबू अजित प्रसाद एम. ए. एल. एल. बी. ने धार्मिक शिक्षा के अभावपर महारुवान दिया. जिसका आशय यह था कि मुख्य २ शहरों में जैन बोर्डिम हाउस होना चाहिए कि जहांवर धर्म शिक्षा दी जाय और एक १०, रु. मासिककी स्कालरशिप उस विद्यार्थी को देनेका इकरार किया जा एन्स पास करने हे पद सैन्ट्रेल हिंदुकालेज बनारस में पढे
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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