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________________ जैन कान्फरमन हरेन्ड । [ अप्रील ॥.श्रीवीतरामायनमः॥ .. नियमावली ( नाम और उद्देश्य.) (१) इस पाठशालाका नाम जैनागम पाठशाला, जयपुर है. (२) इस पाठशालाके निम्न लिखित उद्देश है. ( क ) विद्यार्थियोंको जैन धर्म की उच्च श्रेणी की शिक्षा प्रदान करना. (ख) राष्ट्रीय भाषा साहित्य तथा उपयोगी विदेशी भाषा साहित्य की शिक्षा देना. (ग) वैज्ञानिक व शिल्पिशिक्षा देना. - (नोट ) यथा सम्भव यह शिक्षाए जैन ग्रन्थोद्वारा ही होंगी. प्रबन्ध. (३) इस पाठशाला तथा इसके कोषका प्रबन्ध एक प्रबन्ध कारिणी कमेटीद्वारा होगा जिसके सभासदोंकी संख्या अधिक से अधिक ११ होगी.. बर्तमान पठन क्रम व शिक्षा. . ( ४ ) पाठशालाके बर्तमान पठन क्रमानुसार विद्यार्थियोंको निम्न लिखित विषयों में शिक्षा दी जावेगी. नागरी साहित्य, नागरी व्याकरण, जैन संस्कृत साहित्य, जैन संस्कृत व्याकरण, जैन धर्म ग्रन्थ, गणित, आंग्ल भाषा साहित्य, आंग्ल भाषा व्याकरण ,अक्षराभ्याससे ही प्रारम्भ करनेवाले विद्यार्थीको पांच वर्ष पर्यन्त पाठशालामें उपयुक्त विषयोंमें नियमित अध्ययन से इस प्रकार की योग्यता प्राप्त होसकेगी कि संस्कृत व आंग्ल भाषामें लिखना, पढना व भाषण सुष्टुतया आजावेगा तथा जैनागममें भी भले प्रकार प्रवेश होजावेगा और गणित बही खाते आदिमें भी निपुणता प्राप्त हो जावेगी. .. (नोट) उपयुक्त शिक्षाके अतिरिक्त विद्यार्थियोंको आचरण नीति, वैज्ञानिक आदि दैनिक आवश्यक विषयों पर व्याख्यानोंद्वारा मौखिक शिक्षा भी होगी और क्रियाद्वारा पालन भी कराया जावेगा. - छात्रसम्बन्धी साधारण नियम. (५) इस पाठशालामें ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्णके ही विद्यार्थियोंको शिक्षा दी जावेगी 'परन्तु अजैन विद्यार्थियोंकी संख्या प्रति शतक २५ से अधिक नहीं होगी. (६) सर्व विद्यार्थियोंको पाठशालाके पठन क्रमानुसारही पुस्तकें पढाई जावेंगी. (७) प्रवेशेच्छु विद्यार्थी प्रम्बन्ध कर्ता की स्वीकारतापर- प्रविष्ट होंगे और उनको प्रवेश होनेसे पूर्व एक प्रवेश पत्र की पूर्ति करनी होगी. प्रवेशपत्र प्रबन्ध कर्ताके कार्यालयसे प्राप्त होगा. (८) ज्यो विद्यार्थी पाठशालामें पुनः प्रविष्ट होगा उसको दण्डार्थ एक पूजा यथाशक्ति करनी होगी अथवा -॥ नकद देने होगे.
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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