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________________ तृतीय. له ه ه १९०६] नियमावली..... (९) ज्यो छात्र पाठशालासे किसी अपराधमें प्रथक किये जायेंगे वह छ माससे पूर्व पुनः प्रविष्ट न होसकेगे ऐसे विद्यार्थियोंका पुनः प्रविष्ट करना मन्त्री प्रबन्धकारिणी कमीटी की स्वीकारतापर निर्भरहै. (१०) प्रारम्भ की चार श्रेणियोंमें १२ वर्षसे अधिक की अवस्थाके विद्यार्थी प्रविष्ट नहीं किये जावेंगे. (११) ज्यो विद्यार्थी निरन्तर एक मास तक विना छुटी लिये अनुपस्थित रहेगा उसका नाम पाठशालासे प्रथक किया जावेगा. (परीक्षा, पारितोषक व सहायता.) (१२) पाठशालामें दो प्रकार की परीक्षाए होंगी, मासिक व. षणमासिक-इन परीक्षाओं के ___ फलकी सूचना विद्यार्थियों के संरक्षकों के पास भी भेजी जावेगी. (१३) षणमासिक परीक्षा उत्तीर्ण होनेवाले छात्र उच्च श्रेणी में चढाये जावेंगे. (१४) पाठ शालाके विद्यार्थियोंको पारितोषक निम्न लिखित प्रकार से दिया जावेगाः (क) प्रत्येक श्रेणीमें घणमासिक परीक्षोत्तीर्ण विद्यार्थियोंमेंसे प्रथम तीन विद्यार्थियोंको . क्रमश: मासिक दियाजावेगाः द्वितीय. द्वितीय श्रेणी. ४ आ. तृतीय श्रेणी. चतुर्थ श्रेणी. ८.. ७, ६ " पञ्चम् श्रेणी. १०, ९, ८, षष्ठम् श्रेणी. . १२, ११, १०, सप्तम् श्रेणी. १४, १३, १२, अष्टम श्रेणी . नवम श्रेणी दशम श्रेणी ३.. . ॥ रु. २., नोट-पारितोषक वृत्ति पानेवाले विद्यार्थी यदि मासिक परिक्षाओंमें लगातार तीन मासतक अनुत्तीर्ण रहेंगे तो उनकी छात्रवृत्तियां बन्द कर दी जावेगी. (ख) प्रतिदिन प्रतिदिन यथा समयोपस्थिति, सदाचरण तथा शुद्ध और सुन्दर लिपिके अर्थ. प्रत्येक परीक्षाके पश्चात् योग्यतानुसार विद्यार्थियोंको पारितोषक दियाजावेगा. (१५) असमर्थ विद्यार्थियों को पठनार्थ पुस्तकें भी दी जावेगी. जिनकी रक्षाका जिम्मा विद्यार्थियोंका होगा और पठन समाप्त हुये पश्चात उनको वह पुस्तकें वापिसभी लोटाना होगा. ___. पुस्तकालय. (१६) पाठशाला सम्बधी एक पुस्त्रकालय भी रहेगा. जिसकी पुस्तकें तथा पत्र पत्रिका पाठशालामें अवलोकन करलेवे की सर्व साधारणको इजाजत होगी परन्तु घरलेजावेकी इजाजत केवल छात्रों व अध्यापकोंकोही होगी..ज्यों अध्यापक व छात्र पुस्तकालय की पुस्तकों जवादेग क खो देवेंगे, तो उनको निज व्ययसे दूसरी प्रति पुस्तकालयमें देनी होगी. १५, १॥ रु. ه م २ م
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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