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________________ १६ , १९६६ । हर्षक समाचार शिरोमणि जयपूर की जैनपाठशालाका इस तरह अवनत दशाको पहूंचना किस कदर हानिका रक हैं यह आपलोग स्वयं विचारसकते हैं इसी कारण कातिपय जाति हितैषियौं सुसम्मातसे इसका दृढ प्रबन्ध किया गया हैं. और समयोपयोगी पठनक्रम निश्चित कर पुनः श्रीसंघका ध्यान इस विद्याके कल्पतरुको प्रफुल्लित करने की और आकर्षित किया गया हैं . और जयपुरीय संघभी इसको अपना परम कर्तव्य मानकर इसमें तनमनधनसे सहायता देनेको तत्पर होगया है और निम्न लिखित महाशयोंने इस समयतक पाठशालाके सहायता फार्मोंकी पूर्ति कर इसमें सहायता देना स्वीकार किया है. भविष्यतमें और और महाशयोंके भी सहायक होने की पूर्ण आशा है. १ महाशय गोकलचंदजी पूंगलीया. १४ महाशय महरचंदजी जरगड. २ , सागरचंदची सचेती. १५ , जोरावरमलजी लूणावत. ३ , अमरचंदजी कोठियारी. हीरालालजी छगनलालजी टांक ४ , प्रेमचंदंजी कोठियारी. १७ , मीश्रीलालजी डागा. सुगनचंदजी चोरडिया. . १८ , शिवशंकरजी मुकीम. ., महता मिलापचंदजी लखमीचंदजी १९ , महादेवजी खारैड. ७ , मगन मलजी सचेती. २० , जोहरीमलजी दयाचंदजी सुकलेचा .८ , कालूरामजी केसरीचंदजी जूनीवाल २१ , लखमीचंदजी धांधिया. . ९ , नानूलालजी चंडालिया. .२२ , भागचंदजी बीजराजजी बाठिया. ,, तेजकरणजी बुरड. , चांदमलजी खबाड. ... मूलचंदजी बैराठी. २४ , सूरजमलजी वैद. . १२ , सुगमचंदजी सोभागचंदजी जरगड २५ , हीरालालजी आसाणी. १३. , चंदनमलजी कोठारिया. २६ , धनराजजी वोरदता. उक्त पाठशालाके उद्देश ब संस्कृत नियमावली तथा पठनक्रम आप भाईयोंके अवलोकनार्थ प्रकाशित हैं आशा है कि कॉन्फरन्स के शिक्षा विभाग के मन्त्री व कार्य कर्ता गण उचित समालोचनासे अनुग्रहीत करेंगे. जीनयोंका सेवक घींसीलाल गोलेछा, मन्त्री, जैनागमपाठशाला-जयपुर.. rn so or wo vor o ar
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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