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________________ श्री जैन श्वे ताम्बर कॉन्फरन्स पर्युषणपर्व प्रसंगे जैन समाजने नम्र अपील समग्र श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन समाजनी प्रतिनिधि स्वरूप कॉन्फरन्सना ५६ वर्षना इतिहासना पृष्ठे धार्मिक अने व्यावहारिक शिक्षणप्रचार, तीर्थरक्षा, मंदिरोद्धार, ज्ञानभंडारोद्धार, साहित्यप्रकाशन तेम ज राजकीय अने आर्थिक दृष्टिए जैन समाजने उच्च कक्षार लई जवानां अनेक उपयोगी अने संगीन कार्योथी समृद्ध छे. जैन समाजना सर्वदेशीय क्षेत्रमा तेर्नु स्थान अजोड अने अनेरु छे. एनुं सर्व कार्य रचनात्मक शैलीए प्रजाशासनवादना धोरणे चाले छे. आ रीते समग्र जैनो वती संयुक्त रीते सर्व क्षेत्रोमां अवाज रजू करनार आपणा समाजनी आ कॉन्फरन्स मुख्य संस्था छे. रचनात्मक कार्य मुंबईमां कलकत्तानिवासी श्री मोहनलाल लल्लुचंद शाहना प्रमुखस्थाने मळेल वीसमा अधिवेशनना निर्णयानुसार कॉन्फरन्सनी सर्व शक्तिओ संगठनने मजबूत बनाववा, समाजमा स्वाश्रय अने स्वावलंबणनी भावना जागृत करी श्रावक-श्राविका वर्गने उन्नत बनाववा, साहित्य प्रकाशन अने प्रचार करवा तेम ज राजद्वारी अने अन्य क्षेत्रोभा समाजने आगळ धपाववा वगेरे वगेरेनां अनेक नानां मोटां कार्यो हाथ धरवामां आन्यां छे. तदुपरांत शिक्षण अने आजिविका तेभ ज श्री संघने स्पर्शतां बीजां अनेक कार्यो हाथ धरवा योग्य अने अगत्यनां जणायां छे, जे माटे समय समय पर योग्य कार्यवाही थाय छे. कॉन्फरन्स तरफथी श्री श्रावक श्राविका क्षेत्र उत्कर्ष फंडनी योजनानुसार भारतवर्षनां जुदा जुदा स्थळोए स्थपायेलां औद्योगिक अने शिक्षण विषयक केन्द्रोने वार्षिक रु. ३० थी ४० हजारनी ग्रांट अपाय छे. दर वर्षे मेटिक सुधीना विद्यार्थीओने शिक्षण सहायता रूप रु. ७०००) लगभग कार्यालय द्वारा आपवामां आवे छे. जैन साहित्यना प्रचारार्थे प्रतिमास "जैनयुग" प्रगट थाय छे. तदुपरांत विद्यार्थीओने मार्गदर्शक "छात्रालयो अने छात्रवृत्ति” पुस्तिका हालमा प्रगट करवामां आवी छे. जेसलमेर ज्ञानभंडार सूचिपत्र तथा 'जैन रिलीजिअन अॅन्ड लिटरेचर' नामक पुस्तक प्रेसमां छे. सहकारनी आवश्यकता आ अने आवां सर्वे कार्योने सफळतापूर्वक पार पाडवा माटे कॉन्फरन्सद् निभाव फंड समृद्ध होवू जोईर ए निर्विवाद वस्तु छे. ए खातामां पंदर हजार उपरांतनो तोटो छे. विशेषमा उपरोक्त कार्यो हाथ धरवा माटे पण नाणां जोईए. आ सर्व दृष्टिए कॉन्फरन्सनी कार्यवाही समितिए "कॉन्फरन्स निभाव फंड" एकत्र करवानी शरूआत करी छे. अने तेमा यथाशक्ति सौने पोतानो फाळो अर्पवा नम्र विनंती छे. श्री पर्युषण पर्वाधिराजना पवित्र दिवसोमां नीचेना कोईपण वर्गमा सभ्य थवा विनंती छे. ___ रू. १००१) अथवा.रू. ५०१) आपी मुरब्बी वर्ग अ अने ब रू. २५१) अथवा रू. २०१) आपी आजीवन वर्ग अ अने ब कोईपण १८ वर्षनी उम्मरनी व्यक्ति वार्षिक एक रूपियो आपी कॉन्फरन्सना सामान्य सभासद तरीके जोडाई शके छे. "टीपे टीपे सरोवर भराय"--ए उक्तित अनुसार समाजे उदारतापूर्वक कॉन्फरन्सना निभाव फंडमां पीतानो फाळो नोंधाववो घटे. कॉन्फरन्सनी प्रवृत्तिनी प्रगति तेना संगीन आर्थिक बळ उपर अवलंबे छे अने तेथी सौने पोतपोताना गाम-प्रांत के प्रदेशमाथी वधुमां वधु सभ्यो नोंधी कॉन्फरन्स कार्यालयमां फीनी रकम साथे मोकली आपवा विनंती के. सौना आ प्रकारना सहकारथी अखिल भारतनी आपणी आ महासभा प्राणवान बनी सविशेष समाजसेवा करवा शक्तिमान थशे जेनो सुयश श्री संघने चरणे हशे । गोडीजी बील्डिंग; २०, पायधुनी ( मोहनलाल मदनसिंह कोठारी ) मोहनलाल लल्लुचंद शाह पोस्ट कालबादेवी, जयंतीलाल रतनचंद शाह प्रमुख फुलचंद शामजी मुंबई नं. २ चीफ सेक्रेटरीज उपप्रमुख
SR No.536283
Book TitleJain Yug 1959
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanlal M Kothari, Jayantilal R Shah
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1959
Total Pages524
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Yug, & India
File Size34 MB
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